रविवार, 23 जून 2024

मानस चर्चा राम कथा - असुरसेन गया के समान है

मानस चर्चा राम कथा - असुरसेन गया के समान है
असुरसेन सम नरक निकंदिनि । साधु-बिबुध कुल हित गिरि- नंदिनि ॥
राम कथा, असुरसेन' के समान नरककी नाश करनेवाली है और साधुरूपी देव समाजके लिये श्रीपार्वतीजीके समान है ॥ 
'असुर-सेन' - इसकी संज्ञा पुंल्लिंग है। संस्कृत शब्द है। यह एक राक्षस हैं, कहते हैं कि इसके शरीरपर गया
नामक नगर बसा है। अनेक मानस मर्मज्ञों ने इसका अर्थ
'गयासुर'  ही किया है। गयातीर्थ इसीका शरीर है।
वायुपुराणान्तर्गत गया - माहात्म्यमें इसकी कथा इस प्रकार है- यह असुर महापराक्रमी था। सवा सौ योजन ऊँचा था और साठ योजन उसकी मोटाई थी। उसने घोर तपस्या की जिससे त्रिदेवादि सब देवताओंने उसके पास आकर उससे वर माँगनेको कहा। उसने यह वर माँगा कि 'देव, द्विज, तीर्थ, यज्ञ आदि सबसे अधिक मैं पवित्र हो जाऊँ। जो कोई मेरा दर्शन वा स्पर्श करे वह तुरन्त पवित्र हो जाय।' एवमस्तु कहकर सब देवता चले गये। सवा सौ योजन ऊँचा होनेसे उसका दर्शन बहुत दूरतकके प्राणियोंको होनेसे वे अनायास पवित्र हो गये जिससे यमलोकमें हाहाकार मच गया। तब भगवान्ने ब्रह्मासे कहा कि तुम
यज्ञके लिये उसका शरीर माँगो जब वह लेट जायगा तब दूरसे लोगोंको दर्शन न हो सकेगा, जो उसके निकट जायँगे वे ही पवित्र होंगे।ब्रह्माजीने आकर उससे कहा कि संसारमें हमें कहीं पवित्र भूमि नहीं मिली जहाँ यज्ञ करें, तुम लेट जाओ तो हम तुम्हारे शरीरपर यज्ञ करें। उसने सहर्ष स्वीकार किया। अवभृथस्नानके पश्चात् वह कुछ हिला तब ब्रह्मा-विष्णु आदि सभी देवता उसके शरीरपर बैठ गये
और उससे वर माँगनेको कहा। उसने वर माँगा कि जबतक संसार स्थित रहे तबतक आप समस्त देवगण
यहाँ निवास करें, यदि कोई भी देवता आपमेंसे चला जायगा तो मैं निश्चल न रहूँगा और यह क्षेत्र मेरे
नाम अर्थात् गया नाम से प्रसिद्ध हो तथा यहाँ पिण्डदान देनेसे लोगोंका पितरोंसहित उद्धार हो जाय ।
देवताओंने यह वर उसे दे दिया। तो ठीक गया के समान ही इंसान के हर पापों को जड़ से नष्ट करने वाली है यह रामकथा।
।। जय श्री राम जय हनुमान।।

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