शनिवार, 29 जनवरी 2022

√पर्यायवाची शब्द सुबह के

      ।।  सुबह के पर्यायवाची शब्द  ।।
          ( दो दोहों में  23  पर्याय)
अरुणोदय प्रातःकाल,उषा प्रभात फजर।
प्रातः सकार भिनसार,निशान्त तड़का सहर।।1।।
अलस्सुबह ब्रह्ममुहूर्त,सुबह सबेरा डॉन।
दिनमुख सकाल प्रात पौ,मॉर्निंग भोर विहान।।2।।
इन दोनों दोहों के सभी के सभी  23 पद सुबह के पर्याय हैं।
              ।।    धन्यवाद   ।।

√पर्यायवाची शब्द राक्षस के

        ।।पर्यायवाची शब्द राक्षस के।।
       (दो दोहों में 2×11=22 पर्यायवाची)
राक्षस सुरारि अमरारि,दैत्य दितिज निशाचर।
यातुधान दानव दनुज,देवारि रजनीचर ।।1।।
निशिचर तमचर ध्वांतचर,दितिसुत असुर शक्रारि।
मॉन्सटर(monster)  डिमन(demon) देवरिपु,
शुक्र शिष्य इन्द्रारि।।2।।
             ।। धन्यवाद।।

√पर्यायवाची शब्द देवता के

पर्यायवाची शब्द देवता के
देव देवता दनुजारि,दानवारि  शुभेश्वर
आकाशचारी अमर्त्य,अस्वप्न अजर अमर।।1।।
 वृदारक अदितिनन्दन ,असुरारि अनन्तचर  ।
गगनगामी  व विश्वरुप,विविध लेख गगनचर।।2।।

सोमवार, 24 जनवरी 2022

पर्यायवाची शब्द चन्द्रमा के

         ।।पर्यायवाची शब्द चन्द्रमा के।।
         (पाँच दोहों में 48 पर्याय)
रोहिणीपति औषधिपति ,निशापति निशानाथ।
कुमुदबन्धु तारकेश्वर,निशाकर निशिनाथ।।1।।
ग्रहराज चन्द्र चाँद,क्षपाकर क्षपानाथ।
अमीकर शशांक चंदा,निशाकान्त तमनाथ।।2।।
अत्रिज हिमांशु सुधाकर,निशिकर नक्षत्रनाथ।
ताराधीश तुषारांशु,उडपति तारानाथ।।3।।
छायांक तमोहर सोम,मृगलांक्षन कलाधर।
सुधांशु मृगांक महताब,अंशुमाली शशधर।।4।।
दधिसुत मयंक सारंग,दोषाकर विभाकर।
हिमकर शितांशु इंदु शशि,उडुराज रजनीकर।।5।।

                  ।। धन्यवाद।।
      

रविवार, 23 जनवरी 2022

ब्राह्मण के पर्यायवाची शब्द

।।ब्राह्मण के पर्यायवाची शब्द।।
अग्रजन्मा द्विजाति विप्र,
   द्विज महिसुर महिदेव।
ब्राह्मण भूसुर भूमिसुर,
        भूमिदेव    भूदेव।।
    ।। धन्यवाद।।
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सोमवार, 17 जनवरी 2022

√गधा के पर्यायवाची शब्द

         ।।गधा के पर्यायवाची शब्द।।
         ( दो दोहों में 14 पर्याय)
वैशाखनन्दन ही हैं, चक्रीवान   रासभ
मूर्खों के उपमान भी,गधा गदहा गर्दभ।।1।।
पर्याय हैं शंखकर्ण, ऑस डंकी धूसर
माता शीतलावाहन, खर खोताबेशर।।2।।
          ।।धन्यवाद।।






शनिवार, 15 जनवरी 2022

√कबूतर के पर्यायवाची शब्द

    ।।कबूतर के पर्यायवाची शब्द।
एक चौपाई में 12 शब्द देखें
आरक्तपाद पंडुक हारिल।
पारावत परेवा     हारीत।।
कलरव कबूतर धूम्रलोचन।
पिजन(pigeon) कपोत हैं रक्तलोचन।। 

        ।।धन्यवाद।।

मानस चर्चा (अनुसूया)

                   मानस चर्चा (अनुसूया)
अनुसुइया के पद गहि सीता। मिली बहोरि सुसील बिनीता॥
रिषिपतिनी मन सुख अधिकाई। आसिष देइ निकट बैठाई॥
अनुसूया कौन
न गुणान् गुणिनो हन्ति स्तौति मन्दगुणानपि।
नान्यदोषेषु रमते सानसूया प्रकीर्तिता।।
अनुसूयाजी का सतीतत्व कैसा
1:-माता अनुसुइया  ने डाल दिया पालना ,
    झूल रहे तीन देव बनकर के लालना.
 ब्रह्मा ,विष्णु,महेश का क्रमशः सोम,दत्तात्रेय और दुर्वासा के रूप में पुत्र बनना
2:- सूर्य को रोक लेना
3:-अकाल के समय कन्द-मूल, फल  की उत्त्पत्ति ,पति सेवा 4:-माँ गंगा की परीक्षा में उत्तीर्ण होना 
 माँ गंगा द्वारा शिव आराधना और पति सेवा के एक वर्ष का फल माँगना और बदले में   मंदाकिनी बनकर माँ गंगा का चित्रकूट में रहना।
सीताजी को दिव्य वस्त्र क्यों
अजहु तुलसिका हरिहि प्रिय
माँ अनुसूया को पता है कि तुलसी अर्थात परम सती असुराधिप नारी, बृंदा के शाप  के कारण सीता हरण तय है।
तभी तो
दिब्य बसन भूषन पहिराए। जे नित नूतन अमल सुहाए॥
सीताजी को नारी धर्म का उपदेश क्यों
कह रिषिबधू सरस मृदु बानी। नारिधर्म कछु ब्याज बखानी॥
नारी के लिये सभी रिश्तों से पति का रिश्ता बड़ा क्यों
माँ अनुसूया के मुख से
मातु पिता भ्राता हितकारी। मितप्रद सब सुनु राजकुमारी॥
अमित दानि भर्ता बयदेही। अधम सो नारि जो सेव न तेही॥
सीताजी के मुख से
मातु पिता भगिनी प्रिय भाई। प्रिय परिवारु सुहृदय समुदाई॥
सासु ससुर गुर सजन सहाई। सुत सुंदर सुसील सुखदाई॥
जहँ लगिनाथ नेह अरु नाते। पिय बिनु तियहि तरनिहु ते ताते॥
तनु धनु धामु धरनि पुर राजू। पति बिहीन सबु सोक समाजू॥
 सीताजी को धैर्य-धर्म का उपदेश क्यों
धीरज धर्म मित्र अरु नारी। आपद काल परिखिअहिं चारी॥
Calamity is the touchstone of a brave mind.
असम्भवं हेममृगस्य जन्मः तथापि रामो लुलुभे मृगाय ।
प्रायः समापन्न विपत्तिकाले धियोSपि पुंसां मलिनी भवन्ति।
    पुरूषों की बुद्धि मलिन हो जाय और परिणाम स्वरूप  अनहोनी हो जाय तो भी यदि  नारी धैर्य रखने वाली ,धर्म का पालन करने वाली और  मित्रवत व्यवहार करने वाली है तो ऐसे आपद कालीन समय की परीक्षा को भी चतुराई से उत्तीर्ण किया जा सकता है।
                    जय श्रीराम
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