काव्यात्मक वर्णमाला
।। प्राक्कथन ।।
नन्हें-मुन्ने प्यारे बच्चों के बहु विधि ज्ञान वर्धन के लिए किया गया यह प्रयास निश्चित ही समस्त हिन्दी भाषी के लिए एक गौरव का विषय है।
बहु प्रचलित सरल चौपाई छन्द बच्चों को शीघ्रातिशीघ्र याद हों ही जाता है अतः इसका प्रयोग सभी वर्णों के लिए किया गया है।
हिन्दी वर्णमाला के साथ ही साथ भारतीय संस्कृति का भी ज्ञान हो इसका अद्भुत प्रयास है।
हिन्दी और हिन्दुस्तान की परिकल्पना साकार करने के प्रयास में इन सबकी जानकारी देने के लिए हमारे अनेक आध्यात्मिक, ऐतिहासिक, धार्मिक,पौराणिक पात्रों-कथाओं पर भी प्रकाश डाला गया है।
आशा है यह ग्रंथ सभी के लिए लाभकारी होगा।
यह काव्यात्मक वर्णमाला ग्रन्थ सरल ढंग से हिन्दी वर्णमाला के सभी वर्णों/अक्षरों के बारे में नन्हें-मुन्ने प्यारे बच्चों को ज्ञान देने की लालसा से लिखा गया है।बच्चों के साथ ही साथ हिन्दी सीखने-सिखाने वालों के लिये भी लाभकारी हो इसका भरसक प्रयास किया गया है।वर्णों के साथ सनातन संस्कृति से सम्बन्धित अनेक बिन्दु भी इसमें निहित हैं।देवी-देवताओं, लोकोक्तियों, मुहावरों, कथाओं आदि का भी ज्ञान मिले इसका भी ध्यान रखा गया है।
आशा है यह प्रयास निश्चित रुप से सभी के लिए उपयोगी होगा।अगर किसी एक को भी मेरे इस अल्प प्रयास का लाभ मिलता है तो मैं धन्य हो जाउँगा और अपने ईष्ट देव का आभारी रहूँगा।
आपका अपना
गिरिजा शंकर तिवारी "शांडिल्य"
- अ अनार
- अनार की है शान निराली ।
- झुमता रहता डाली-डाली ।।
- दाङिम नाम है यही पाया
- कवियों ने विशेषण बनाया ।।
- आ आम
- आम हम सब का दुलारा है ।
- फल यह बसंत को प्यारा है ।।
- सौरभ रसाल कमाल छाजा ।
- यही तो है फलो का राजा ।।
- इ इमली
- इमली की है बात निराली ।
- सूख जाय तो होवे लाली ।।
- आये सदा मानव के काम ।
- स्वाद है खट्टा फिर भी नाम ।।
- ई ईख
- ईख उत्तम काम की भाई ।
- इससे बनती सभी मिठाई ।।
- यह कृषकों में सुख भरती है ।
- बिन चाखे रस ना देती है ।।
- उल्लू रजनी में जब बोले ।
- सुनने वाले का मन डोले ।।
- कुछ लोग यह नाम हैं पाते।
- जो किसी को नहीं है भाते ।।
- ऊन बहुत ही उपयोगी है ।
- यह तो कितनो की रोजी है ।।
- इससे हम है ठंड से बचते ।
- हम इसको भेड़ों से पाते ।।
- ॠ ॠषि
- ॠषि बहुत प्रकार के होते ।
- नारद जी देवर्षि कहलाते ।।
- ये हमें सद ज्ञान देते हैं ।
- प्राणियों का शुभ चाहते है।।
- ए एकतारा
- ए से हि एकतारा एड़ी ।
- एड़ी पर हि है दुनिया खङी ।।
- एकतारा सुवाद्य यन्त्र है ।
- इसमें बधता एक तन्त्र है ।।
- ऐ
- ऐनक
- ऐ करता ऐनक ऐरावत ।
- इन्द्र ऐरावत के महावत ।।
- होय जब नेत्र रोशनी छरण ।
- तभी जाते ऐनक की शरण ।।
- ओ ओखल
- ओ ओंकार की है हथेली ।
- इसकी एक ध्वनि है ओखली ।।
- ओंकारेश्वर आशुतोष हैं ।
- जो काशी में विश्वनाथ हैं ।।
- औ औरत
- औरत माता बहना नारी ।
- यह दुनिया में सबको प्यारी ।।
- बनाती है यह सृष्टि सारी ।
- बरसाती नेह वृष्टि भारी ।।
- अं अंगूर
- अंगूर दिखता बहुत प्यारा ।
- इसका रस है न्यारा-न्यारा ।।
- जिसे नहीं यह मिल पाता है ।
- वही इसे खट्टा कहता है ।।
- अः
- क कमल
- क कर कमल कमलाकर कमला।
- कमला कृपा से हि मति सबला।।
- जिन्ह पर कृपा कमलाकर के।
- करतलगत सब होवे उनके।।
- ख खरगोश
- खरगोश होता बहुत प्यारा।
- नहिं लेता यह कभी सहारा।।
- घमंड कर कछुआ से हारा।
- इस प्रकार सिख दे बेचारा।।
- ग गणेश
- गणेश ही है आदि देवता ।
- पूजा केवल माता व पिता ।।
- माता व पिता की कर सेवा ।
- पावोगे तुम हरदम मेवा ।।
- घ घङी
- घड़ी बड़े महत्त्व की मशीन।
- समय बताये यह समीचीन।।
- आराम नहीं यह करती है।
- कर्म कीमती सिखलाती है ।।
[ङ]
- च चरखा
- चरखा बना बापू पहचान।
- वे रहे एक मानव महान।।
- हथकरघा से हि बनाते वस्त्र।
- फैले मंत्र स्वदेशी सर्वत्र ।।
- छ छड़ी
- छड़ी साथ में है यह छाता ।
- गर्मी वर्षा सबको भाता।।
- दोनों मौसम इसे न छोङो।
- इससे ही तुम नाता जोङो।
- ज जहाज
- जहाज देखो नभ को जाता।
- एक है सदा जल को भाता।।
- वायु जहाज बना वायुयान।
- जल जहाज का नाम जलयान ।।
- झ झंडा
- झंडा की है शान निराली।
- लहरा तिरंगा बजा ताली।।
- यही हमारे देश की शान।
- रखना हमें है इसका मान।।
- [ञ]
- ट टमाटर
- टमाटर भरा रस से सारा।
- यह है न्यारा प्यारा प्यारा ।।
- यह हर मानव को ही भाये।
- पाचनक्रिया दुरुस्त बनाये।।
- ठ ठठेरा
- ठ से ठठेरा औ ठग होते।
- ठग लोगों को है ठग जाते।।
- ठठेरा है काम का भाई।
- काम करे यह पाई-पाई।।
- ड डलिया
- डलिया तो हर घर में मिलती।
- यह बेकार नहीं है रहती ।।
- इसकी देखो लीला भाई।
- भाँति-भाँति सेवा में छाई ।।
- ढ ढोलक
- ढोलक हर जग में बजती है।
- झाल को यह साथ रखती है।।
- जब देखो तुम अल्हा ताजा।
- वहाँ मिलेगा ढोलक बाजा।।
[ण]
- त तलवार
- तलवार रख म्यान में भाई।
- आती है यह काम लङाई।।
- कायर को यह कभी न भावै।
- रणवीरों से शोभा पावै ।।
- थ थरमस
- थरमस होता बड़ा व छोटा ।
- इसका काम न होता खोटा ।।
- सभी को है लाभ पहुँचाता ।
- कई प्रकार काम में आता ।।
- द दरवाजा
- दरवाजा मकान की शोभा ।
- यही है घर की एक आभा ।।
- जाड़ा-गर्मी दिन औ राती ।
- रक्षा करता सदा बहु भाँती ।।
- ध धनुष
- धनुष साथ जब होवे बाना।
- डर जावे तब निच का प्राना।।
- चढ़कर बान न वापस आवै।
- तौल के बोल यह बतलावै।।
- न नल
- नल हम सबको पानी देता।
- जल मानव का जीवन होता।।
- बिना काम नल कभी न खोलो।
- जल जीवन है इसको तौलो।।
- प पतंग
- पतंग अनन्त में उड़ जाता।
- कितना बढ़िया शोभा पाता।।
- कई कटते कई पड़ते हैं।
- संक्रान्ति को सदा उड़ते हैं।।
- फ फल
- फल ताजा हम सब को भावे।
- जन-जन को यह स्वस्थ बनावे।।
- धनी ज्ञानी विनम्र हो जावे।
- सभी फल बृक्ष हमको सिखावे।।
- ब बकरी
- बकार बकरी बतख बनावे।
- बा बाजार बाजा बजावे।।
- बरतन बनिया बन्धु बधाई।
- ब बनावे बन्धन व सगाई।।
- भ भगत
- भगत का बल भक्ति ही होती।
- जो देवे हर जन को जोती।।
- भगति ही है भगत की शोभा।
- इसी पर भगवान भी लोभा।।
- म मछली
- मछली जल में महल बनावे।
- बिनु जल यह न कभी रह पावे।।
- जल जीवन है सबका भाई।
- रक्षा करो प्रानन की नाई।।
- य यज्ञ
- यज्ञ जब कभी हो जावे सफल।
- मिला करता है इसका सुफल।।
- सभी साध्य साधक का भरता।
- यज्ञ कर्म को ईंगीत करता।।
- र रथ
- रथ से बनते रथी सारथी।
- रथारुण हो वीर महारथी।।
- होता था सम्राटों की शान।
- रथ महावीरों का है आन।।
- ल लड़का
- लड़का बड़का बाबू बनता।
- खोटा काम न जब यह करता।।
- होते सब खुश उससे भाई।
- जो करता है खूब पढाई।।
- व वकील
- वकील करे वकालत भाई।
- करै इस हेतु कठिन पढाई।।
- देखे भिन्न-भिन्न यह केशा।
- वकालत हि है इसका पेशा।।
- श शलगम
- शलगम है इक मीठी सब्जी।
- हो न इससे किसी को कब्जी।।
- यह सबको है स्वस्थ बनावे।
- इसको जमीन से उपजावे।।
- ष षडानन
- षडानन गजानन के भाई।
- बनी उमाजी इनकी माई।।
- करते रहते मोर सवारी।
- ताड़कसुर को है संहारी।।
- स सड़क
- सड़क जोड़ती है शहरों को।
- गाँवों गलियोंऔर घरों को।।
- इसका हर मानव से नाता।
- जन-जन सदा लाभ है पाता।।
- ह हल
- हल होते किसानों की शान।
- जिसका लिया अब ट्रक्टर स्थान।।
- देखो ट्रक्टर है हल जोते।
- फिर खेतों में अनाज बोते।।
- क्ष क्षत्रिय
- क्षत्रिय है होते बड़े सपूत।
- इनको कहते सब राजपूत।।
- इस वंश का प्रतापी राणा।
- त्यागा वीर देश हित प्राणा।।
- त्र त्रिशूल
- त्रिशूल महादेव को सोहै।
- देख जिसे सबका मन मोहै।।
- उनका अस्त्र है एक त्रिशूल।
- नाश करै यह निशिचर समूल।।
- ज्ञ ज्ञानी
- ज्ञानी सबको ज्ञान सिखाते।
- सदा ज्ञान का पाठ पढाते।।
- करते रहते ज्ञान की बृष्टि।
- रखते हैं सब पर कृपा दृष्टि।।
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