शनिवार, 28 मई 2022

√।।तोता के पर्यायवाची।।

          ।।तोता के पर्यायवाची।।
           (दो सोरठों में पंद्रह पर्याय)
मंजुपाठक मिट्ठू, सुग्गा शुक दाड़िमप्रिय।
प्रियदर्शन पोपट,सुआ सुअटा रक्ततुण्ड।।1।। 
वक्रनक्र पैरेट (Parrot),रक्तचंचु भी हैं  कीर।
तोता के पर्याय ,  जानो  मेरे  तू वीर।।2।।
              ।।धन्यवाद।।

शुक्रवार, 27 मई 2022

√।।मोर के पर्यायवाची।।

           ।।मोर के पर्यायवाची।।
          {दो दोहों में बीस पर्याय}
शिखी शिखण्डी शिखावल,बर्हि हरि सितापांग।
शिवसुतवाहन कलापी, नीलकंठ   सारंग।।1।।
केकी मोर मेहप्रिय, सर्पकाल भुजगारि।
ध्वजी मयूर नर्तकप्रिय,पीकॉक(peacock)पन्नगारि।2।
इन दोनों दोहो के सभी बीस पद मोर के पर्याय हैं।
               ।। धन्यवाद।।   

बुधवार, 11 मई 2022

।।या यस्य प्रकृतिः स्वभावजनिता केनापि न त्यज्यते॥

काकः पद्म वने रतिं न कुरुते हंसो न कूपोदके।
मूर्ख: पंडितसङ्गमे न रमते दासो न सिंहासने।।
दुष्टः सज्जनसङ्गमं न सहते नीचं जनं सेवते।या
कुस्त्री सज्जनसङ्गमे न रमते नीचं जनं सेवते।
या यस्य प्रकृतिः स्वभावजनिता केनापि न त्यज्यते॥
              ।। धन्यवाद।।

√मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथराजू॥

मुद मंगलमय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथराजू॥
संत समाज  मुद मंगलमय है, जो जग में चलता-फिरता तीर्थराज प्रयाग है।
   ध्यान रहे साधु समाज नहीं संत समाज,साधु वह जो भगवान को प्राप्त करने का साधन करता है भगवान को अभी प्राप्त नहीं किया है, संत वह जो भगवान को प्राप्त कर चुका है। कहीं- कहीं साधु - संत पर्याय भी होते है।मूलतः दोनों भगवद्भक्त ही है।
मुद= मानसिक आनन्द।
मंगल= बाहरी आनन्द,प्रसिद्ध उत्सव आदि का आनन्द।
जंगम तीरथराजू=तीर्थ राज प्रयाग जंगम है अचल है जहाँ पर जाने के बाद मुद-मंगल मिलता है लेकिन संत समाज चल है जो लोगों के पास जा जाकर उन्हें सभी प्रकार का आनन्द देता है लोगों का कल्याण करता है। तीर्थराज प्रयाग की जो-जो विशेषताएं है वे सभी संत समागम में हैं।गोस्वामी तुलसीदासजी ने कितना  सुंदर चित्रण सांग रूपक के माध्यम से प्रस्तुत किया है --
राम भक्ति जहँ सुरसरि धारा(गंगा)
सरसइ ब्रह्म बिचार प्रचारा॥ ( सरस्वती)
बिधि निषेधमय कलिमल हरनी। 
करम कथा रबिनंदनि बरनी॥ (यमुना)
हरि हर कथा बिराजति बेनी।  (त्रिबेनी)
सुनत सकल मुद मंगल देनी॥ (मुद मंगल )
बटु बिस्वास अचल निज धरमा।( अक्षय वट)
तीरथराज समाज सुकरमा॥ (तीर्थ राज प्रयाग)
 अतः ऐसे संतो का हमे हमेशा आदर-सम्मान करना चाहिए और इनके सत्सङ्ग से तीर्थराज प्रयाग सा सारा आनन्द-कल्याण प्राप्त चाहिए।जय श्रीराम जय हनुमान।
                   ।।धन्यवाद।।

√कामदेव के पर्यायवाची

        ।।  कामदेव के पर्यायवाची ।।
         { 6 सोरठों में 58 पर्याय } 
वसंतबंधु झषांक ,झषकेतु रतिनाथ मदन।
रतिनायक रतिकांत , रतिनाह रतिराज मयन।।1।।
अनन्यज अंगहीन , वसंतसखा आत्मजात।
मनोभू मकरध्वज,  मधुसख मनसिज मनजात।।2।।
दर्पक काम मनोज, पुष्पधनु शंबरारि स्मर।
आत्मज अतनु अदेह ,क्यूपिड(cupid)रतिप्रिय रतिवर।।3।
अशरीर  कुसुमबाण ,रतिपति मन्मथ पंचशर।
आत्मभू पुष्पायुध, रतिरमण मार पुष्पशर।।4।।
प्रेमदेव प्रद्युम्न, पुष्पधन्वा पुष्पकेतु
पुष्पेषु पुष्पचाप , मीनकेतन मीनकेतु।।5।।
कुसुमायुध कंदर्प, अनंग अंगज असमशर।।
अनंगी कामदेव, कुसुमधन्वा व कुसुमशर।।6।।
                 ।।। धन्यवाद ।।।