मानस चर्चा श्रीहनुमानजी का तीन नामों से वंदना
मानसकार गोस्वामी तुलासीदासजी वंदना क्रम में लिखते है कि
महाबीर बिनवउँ हनुमाना। राम जासु जस आप बखाना॥
प्रनवउँ पवनकुमार खल बन पावक ग्यान घन।
जासु हृदय आगार बसहिं राम सर चाप धर॥
यहां हमे महाबीर, हनुमान और पवनकुमार तीन नाम मिल रहे हैं।आखिर तीन नामों से वंदना क्यों जानते इस विशेष तथ्य को ।किसी मानस मर्मज्ञ ने इसके उत्तर में क्या खूब लिखा है
महाबीर हनुमान कहि, पुनि कह पवनकुमार।
देव इष्ट अरु भक्त लखि, बंदउ कवि त्रयबार।। अर्थात् महाबीर,हनुमान और फिर पवनकुमार कहकर देव इष्ट अरु भक्त के रूप में तीन बार वंदना की गई है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सेवक स्वामि सखा सिय पी के।। रुपों को ध्यान में रखकर तीन नामों से वंदना सापेक्ष्य है सोदेश्य है।
।। जय श्री राम जय हनुमान।।
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