राम की उदारता
मानस चर्चा मानस के प्रधान विषय पर वह है रघुपति के नाम की उदारता जैसा कि गोस्वामीजी ने घोषित किया है।
एहि महँ रघुपति नाम उदारा।
अति पावन पुरान श्रुति सारा ॥
उदारकी परिभाषा 'भगवद्गुणदर्पण' नामक ग्रन्थमें इस प्रकार है- जो सुपात्र, कुपात्र, देश, कालका ध्यान न देकर आवश्यकतासे अधिक स्वार्थरहित होकर देता है उसे 'उदार' कहते हैं ।
पात्रापात्रविवेकेन देशकालाद्युपेक्षणात् ।
वदान्यत्वं विदुर्वेदा औदार्यवचसापरे ॥
ब्राह्मणसे चाण्डालपर्यन्त और यवन आदि समस्त विधर्मियोंको समानभावसे पालन करनेके कारण किंवा मुक्ति प्रदान करनेके कारण श्रीरामनाममहाराज उदार हैं। वाराहपुराणमें में एक बहुत ही सुंदर कथा श्रीशङ्करजीने कहा है- हे देवि ! एक यवन बैलका व्यापार करते हुए किसी वनमें ठहरा था। वह अत्यन्त वृद्ध था, सङ्ग्रहणी रोगसे पीड़ित था । रात्रिमें शौचके लिए गया । दैवयोगसे — प्रारब्धसे एक शूकरके बच्चेने उसे धक्का दे दिया। वह उसी समय गिरकर मर गया । धक्का लगने के कारण
गिरते समय उसके मुखसे 'हरामने मार डाला ' 'हरामने मार डाला' ये शब्द निकले। इस 'हराम' के ब्याजसे 'राम' कहनेके कारण वह गोपदके समान भवसागरसे तर गया। भाव यह कि यदि कोई स्नेहपूर्वक रामनामका जप करे तो
उसका तो कहना ही क्या है ?
दैवाच्छूकरशावकेन निहतो म्लेच्छो जराजर्जरो
हारामेण हतोऽस्मि भूमि पतितो जल्पंस्तनुं त्यक्तवान् ।
तीर्णो गोष्पदवद्भवार्णवमहो नाम्नः प्रभावादहो
किं चित्रं यदि रामनाम रसिकास्ते यान्ति रामास्पदम् ॥
( वाराहपुराण)
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