।। कुबेर के पर्यायवाची।।
सात दोहों में अठ्ठावन पर्यायवाची शब्द
कुबेर के इन पर्यायवाची शब्दों को जानने से पहले हम इनके बारे में कुछ बातों को जान लेते हैं ---
कुबेर धन के देवता हैं। इनके बारे में अनेक कथाएं मौजूद हैं। उनमें से कुछ प्रसिद्ध कथाएं निम्न हैं ---
(A) स्कंद पुराण के अनुसार
पूर्वजन्म में भगवान कुबेर का जन्म एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था जिसका नाम गुणनिधि था। लेकिन उसमें एक अवगुण था कि वह चोरी करने लगा था। इस बात का पता चलने पर उसके पिता ने उसे घर से निकाल दिया। जब भटकते हुए उसे एक शिव मंदिर दिखा तो उसने मंदिर से प्रसाद चुराने की योजना बनाई। वहां एक पुजारी सो रहा था। जिससे बचने के लिए गुणनिधि ने दीपक के सामने अपना अंगोछा फैला दिया। लेकिन पुजारी ने उसे चोरी करते हुए पकड़ लिया।हाथापाई में उसकी मृत्यु हो गई।
मृत्यु के उपरांत जब यमदूत गुणनिधि को लेकर आ रहे थे तो दूसरी ओर से भगवान शिव के दूत भी आ गाये और भगवान शिव के दूतों ने गुणनिधि को भोलेनाथ के समक्ष प्रस्तुत किया। भोलेनाथ को यह प्रतीत हुआ कि गुणनिधि ने अंगोछा बिछाके उनके लिए जल रहे दीपक को बुझने से बचाया है। इसी बात से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गुणनिधि को कुबेर की उपाधि प्रदान की। साथ ही देवताओं के धन का खजांची बनने का आशीर्वाद भी दिया।
(B)रामायण के अनुसार
भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए कुबेर ने हिमालय पर्वत पर तप किया। तप के अंतराल में शिव तथा पार्वती दिखायी पड़े। कुबेर ने अत्यंत सात्त्विक भाव से पार्वती की ओर बाएं नेत्र से देखा। पार्वती के दिव्य तेज से वह नेत्र भस्म होकर पीला पड़ गया। कुबेर वहां से उठकर दूसरे स्थान पर चले गए। कुबेर के घोर तप से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने कुबेर से कहा कि तुमने मुझे तपस्या से जीत लिया है। तुम्हारा एक नेत्र पार्वती के तेज से नष्ट हो गया, अत: तुम एकाक्षी एवं पिंगल कहलाओंगे।इनके अतिरिक्त कुछ विशेष बातें और जान लेते हैं-----
1- पिता विश्रवाजी का पुत्र होने के कारण इन्हें वैश्रवण
कहते हैं।
2-माता देववर्णिणी का पुत्र होने के कारण इन्हें देववर्णिणीनन्दन कहते हैं।
3-भगवती भद्रा का पति होने के कारण इन्हें भद्राकान्त
और भद्रापति कहते हैं।
4- इन्हें और भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलरामजी जो माता रोहिणी के पुत्र थे और जो शेषनाग के अवतार माने जाते हैं को एककुंडल कहा जाता है।
5-कुबेर संबंध में रावण के सौतेले भाई थे।
6-हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार इनके एक आँख तीन पैर और आठ दाँत हैं ।
आइए अब हम इनके विभिन्न नामों/पर्यायवाची शब्दों को देखते हैं।
एककुंडल एकनयन ऐलविल वित्तनाथ।
अलकाधिपति अलकेश्वर,श्वेतोदर धननाथ।।1।।
निधिप निधिनाथ निधिपाल, निधीश्वर नरवाहन।
भद्राकान्त अलकापति,अलकाधिप नृवाहन।।2।।
धनाधिप धनराज धनद,धनदेवता धनेश।
देवकोषाध्यक्ष यक्षपति,धनधारी पर्वेश।।3।।
देववर्णिणीनन्दन व,धनदेव हि धनेश्वर।
त्र्यंबकसखा महासत्व,अर्थद गुह्यकेश्वर।।4।।
मनुष्यधर्मा मनुराज,किन्नरराज निधिपति।
श्रीमत श्रीमन शजराज,राजराज अर्थपति।।5।।
बहुधनेश्वर ईश्वरसख,भद्रापति यक्षेश्वर।
यक्षराज यक्षेश यक्षेंद्र, द्रुम किंपुरुषेश्वर।।6।।
विश्रवा बेटा वैश्रवण ,रत्नगर्भ रत्नेश।
हैं जो रत्नकर कुबेर,वो वसुप्रद वित्तेश।।7।।
धन्यवाद
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