हमारे धार्मिक ग्रंथ धर्म सिन्धु के अनुसाार महर्षि पिप्लाद द्वारा रचित इस स्त्रोत्र का पाठ प्रतिदिन प्रातः काल करने से शनि की साढ़ेसाती, अढ़ैया आदि पीड़ा का नाश हो जााता है।
ॐ नमस्ते कोणसंस्थाय पिङ्गलाय नमोsस्तु ते।
नमस्ते बभ्रुरूपाय कृष्णाय च नमोsस्तु ते।।1।।
नमस्ते रौद्रदेहाय नमस्ते चान्तकाय च ।
नमस्ते यमसंज्ञाय नमस्ते शौरये विभो ।।2।।
नमस्ते मंदसंज्ञाय शनैश्चर नमोsस्तु ते।
प्रसादं कुरु देवेश दीनस्य प्रणतस्य च ।।3।।
।।। इति ।।।
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