गुरुवार, 18 जनवरी 2024

।।इन्द्रवज्रा छन्द।।

 ।।इन्द्रवज्रा छन्द।। 

इन्द्रवज्रा छन्द त्रिष्टुप परिवार का

सम वर्ण वृत्त छंद है। 

इसके प्रत्येक 

चरण में 11-11 वर्ण होते हैं।

इसका लक्षण इस प्रकार से है-


स्यादिन्द्रवज्रा यदि तौ जगौ गः।


अर्थात इंद्रवज्रा छंद वहां होता है

जहां श्लोक/पद्य में तौ अर्थात

दो तगण और जगौ गः अर्थात

जगण व दो गुरु वर्ण मिलकर

कुल ग्यारह-ग्यारह वर्ण प्रत्येक

चरणों में होते हैं।


इसका स्वरूप इस प्रकार है-

स्यादिन्द्रवज्रा   यदि  तौ  जगौ  गः

S S I      S S  I   I  S  I    S S

तगण        तगण    जगण    दो गुरु


उदाहरण-

    ऽ ऽ ।     ऽऽ     । । ऽ ।     ऽ ऽ

 1-हंसो यथा राजत पंजरस्थः

    सिंहो यथा मन्दर कन्दरस्थः ।

    वीरो यथा गर्वित कुंजरस्थ:

   चंद्रोSपि बभ्राज तथाऽम्बरस्थः।

2-विद्येव पुंसो महिमेव राज्ञः

   प्रज्ञेव वैद्यस्य दयेव साधोः।

    लज्जेव शूरस्य मुजेव यूनो,

    सम्भूषणं तस्य नृपस्य सैव॥

 3- अर्थो हि कन्या परकीय एव

     तामद्य सम्प्रेष्य परिग्रहीतुः।

     जातो ममायं विशदः प्रकामं

     प्रत्यर्पितन्यास इवान्तरात्मा॥


यहाँ प्रथम  श्लोक के प्रत्येक 

पंक्ति में  श्लोक के प्रथम पंक्ति 

वाले ही वर्णों  का क्रम तगण तगण 

जगण दो गुरु  है।

अतः  'इन्द्रवज्रा छन्द' है। 


परन्तु  दूसरे श्लोक के अंतिम चरण 

का अंतिम वर्ण लघु है, तृतीय

श्लोक के प्रथम चरण के

अंत में लघु वर्ण है  लेकिन 

सानुस्वारश्च दीर्घश्च विसर्गी च

गुरुर्भवेत् ।

वर्णः संयोगपूर्वश्च तथा

पादान्तगोऽपि वा।

नियम के पादान्तगोऽपि वा

के अनुसार इन सभी अंतिम

वर्णों को गुरू माना गया है 

और इंद्रवज्रा छंद है।


यही परिभाषा और रुप हिन्दी 

में भी इंद्रवज्रा छंद का होते हैं, 

आइए उदाहरणों से समझते हैं:

 हिन्दी में उदाहरण :-

1-  यूँ ही  नहीं आप हमें  सताओ

  कान्हा कभी दर्शन तो कराओ।

  भूले हमें, क्यों  जबसे  गये  हो

  बोलो  यहाँ और  किसे ठगे  हो।।

2-नाते निभाना मत भूल जाना

  वादा किया है करके निभाना।

   तोड़ा भरोसा जुमला बताया

  लोगों  न कोसो खुद को गिराया।।

3-गंगा बहाना मन चाहता है

  प्रेमी पुराना धुन चाहता है।

  पूरी कहानी सुन लो जुबानी

  यादें हमेशा रख लो पुरानी।।

    ।। धन्यवाद।।

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