बुधवार, 25 सितंबर 2024

19 ऊँट


एक गांव में एक बुद्धिमान व्यक्ति रहता था।उसके पास 19 ऊँट थे, एक दिन उसकी मृत्यु हो गई मृत्यु के पश्चात वसीयत पढ़ी गई जिसमें लिखा था कि मेरे 19 ऊंटों में से आधे मेरे बेटे को,उसका एक चौथाई मेरी बेटी को और उसका पांचवा हिस्सा मेरे नौकर को दे दिए जाएं।सब लोग चक्कर में पड़ गए कि यह बंटवारा कैसे हो 19 ऊँटों का आधा अर्थात एक ऊंट काटना पड़ेगा फिर तो ऊँट ही मर जाएगा ? चलो एक को काट दिया जाए या हटा दिया जाय तो बचे 18, उनका एक चौथाई साढे चार - साढे चार फिर भी वही मुश्किल।  फिर पांचवां  हिस्सा । सब बड़ी उलझन में थे ।फिर पड़ोस के गांव में से एक बुद्धिमान व्यक्ति को बुलाया गया वह बुद्धिमान व्यक्ति अपने ऊँट पर चढ़कर आया समस्या सुनी थोड़ा दिमाग लगाया फिर बोला इन
19 ऊँटो में मेरा भी ऊँट मिलाकर बांट दो ।सब ने पहले तो सोचा कि एक वह पागल था जो ऐसी वसीयत करके चला गया और एक यह पागल दूसरा आ गया जो बोलता है कि इसमे मेरा भी ऊँट मिलाकर बांट दो | फिर भी सबने सोचा बात मान लेने में क्या हर्ज है। उसने अपना ऊंट मिलाया तो 19+1=20  हुए। 20 का आधा 10 बेटे को दिए गए।20 का चौथाई 5 बेटी को दिए गए।20 कापांचवा हिस्सा चार नौकर को दिए गए 10+5+4= उन्नीस हो गए, बच गया 1 ऊँट  जो बुद्धिमान व्यक्ति का था वह उसे लेकर अपने गांव लौट आया ।बटवारा संपन्न हुआ।इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हम सबके जीवन में पांच ज्ञानेंद्रियां ( आँख, कान, नाक, जीभ, त्वचा), पांच कर्मेन्द्रियां (हाथ, पैर, मुंह, गुदा और लिंग),पांच प्राण ( प्राण, अपान, उदान, व्यान, समान) और चार अंतःकरण चतुष्टय( मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार) ये कुल 19 ऊँट होते हैं ।सारा जीवन मनुष्य इन्हीं के बंटवारे में अर्थात् उलझनों में उलझा रहता है और जब तक उसमें आत्मा रूपी ऊँट को नहीं मिलाया जाता यानी- कि आध्यात्मिक जीवन 
नहीं मिलाया जाता तब तक जीवन में सुख शांति संतोष  और आनंद की प्राप्ति नहीं होती हैं।

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