मंगलवार, 4 मई 2021

Use of An article with a Noun

               Use of An Article With a Noun
नियम:-
1. यदि वाक्य में 'to be'क्रिया (is,are,am,was, were)
के बाद केवल adjective आवे तब कोई article (a,an, the) नहीं लगता। 
2. (A) 
प्रायः commom noun(जाति वाचक संज्ञा ) से पहले उचित article लगता है।
2.(B)
इसी प्रकार विशेषण युक्त जाति वाचक एक वचन संज्ञा से पहले नियमानुसार a, an(article) का प्रयोग होता है।
ध्यान रखें हिन्दी में जाति वाचक एक वचन संज्ञाओं से पहले संख्यावाची एक के  प्रयोग  की परिपाटी नहीं है।
Examples:-
1.It is a table.
2.It is long.
3. It is  a long table.
4.The elephant is  an animal.
5.He is a strong animal.

6.Kumar is my friend.
7. He is an eminent (प्रसिद्ध) scholar (विद्वान).
8.  Sir Malviyajee was a reputed (प्रसिद्ध) orator (वक्ता).
Note :-
प्रसिद्ध के लिए अंग्रेजी में निम्न 5 शब्द हैं-----
Famous, eminent, noted, reputed & illustrious  और इन सबका विलोम है
कुख्यात      notorious   .
 
                   Thanks

TRANSLATION OFहोता है, etc

    Translation of होता है, होती है etc
नियम:-
यदि किसी व्यक्ति, पशु,वस्तु आदि के nature अर्थात प्रकृति या स्वभाव को बताने के लिए हिंदी में होता है, होती है, होते हैं, रहता है,लगता है आदि  का प्रयोग किया गया हो तो -----
 ऐसी स्थिति में इन सभी की अंग्रेजी कर्ता के अनुसार is अथवा are होते हैं। past tense में was, were लिखते हैं।
Examples:-
1-आग गर्म होती है।
Fire is hot.
2-चाँदनी ठंडी होती है।
Moon-light is cool.
3-चीनी मीठी लगती है।
Sugar is sweet.
4- चावल हल्का होता है।
Rice is light.
5-दो और दो चार होते हैं।
Two and two is four.
6-मनुष्य स्वार्थी होता है।
Man is selfish.
Note :-
Man/woman  से जब मनुष्य जाति /स्त्री जाति का बोध हो तो man/ woman लिखते हैं।
लेकिन जब इनका प्रयोग किसी विशेष के लिए हो तो इनके पहले आवश्यकतानुसार a/the का प्रयोग करते हैं।
स्मरण रहे कि इनको छोड़ कर शेष समस्त Common Nouns से पहले a, an या the का प्रयोग होता है।

7-लड़कियॉ लजालु होती हैं।
The girls are shy.
8-वह अपने आचरण के लिए लज्जित नहीं है/ होता है।
He is not ashamed of his conduct.
Note:-
Shy, coy, bashful लज्जाशील, लजालु के लिए , ashamed लज्जित और shameful लज्जाजनक के लिए प्रयोग होते हैं।
               Thanks

शनिवार, 1 मई 2021

।।रूपक अलंकार:- Metaphor।।

           रूपक अलंकार:- Metaphor
 यह सादृश्य मूलक अभेद प्रधान आरोपधर्मी
 ताद_रुप्य अलंकार है।उपमेय और उपमान के भेद
 को मिटा देने वाली उपमा रूपक हो जाती है। 
परिभाषा:- 
जहाँ उपमेय पर उपमान का निषेध रहित आरोप होता है अर्थात उपमेय और उपमान को एक ही मान लिया जाता वहाँ रूपक अलंकार होता है। दूसरे शब्दों में उपमेय पर उपमान का आरोप या उपमान और उपमेय का अभेद ही रूपक है।
आरोप का आशय प्रस्तुत (उपमेय) से अप्रस्तुत (उपमान) का अभेद (एकरूपता) दिखाना है। इसलिए आरोप में प्रायः अभेद दिखाया जाता है। जैसे:-
1-शशि-मुख पर घूघट डाले अंचल में दीप छिपाये। 
2-चरण-कमल बन्दौं हरि राई।
3-माया-दीपक नर पतंग, भ्रमि-भ्रमि इवै पड़न्त।
4-अवधेस के बालक चारि सदा, तुलसी मन-मंदिर में विहरें।
ऊपर के उदाहरणों में शशि-मुख,चरण-कमल,माया-दीपक,मन-मंदिर में रूपक अलंकार है। यहाँ एक समानता दिख रही है कि उपमेय और उपमान के बीच में Dash (-) का प्रयोग है।अतः यह ध्यान रखना है कि रूपक अलंकार में प्रायः(हरदम नहीं)Dash (-) का प्रयोग होता है।
और दूसरी बात यह ध्यान रखना है अगर परीक्षा में केवल रूपक अलंकार पूछें तो यहाँ तक पर्याप्त है लेकिन विस्तृत जानकारी के लिए रूपक के बारे में इस प्रकार से हमें विस्तार से जानना चाहिए।
रूपक के सामान्य भेद
रूपक के दो सामान्य भेद होते हैं तद्रूप रूपक और  अभेद रूपक।
1-तद्रूप रूपक 
तद_का सामान्य अर्थ  होता है उस जिसका अर्थ है दूसरा  अतः हम कह सकते है कि जहाँ  किसी पद में उपमेय को उपमान के दूसरे रूप में स्‍वीकार किया जाता है; वहाँ तद्रूप रूपक अलंकार होता है।पहचान के लिए जब किसी पद में रूपक के साथ दूसरा, दूसरी, दूसरो, दूजा, दूजी, दूजो, अपर अथवा इनके अन्‍य समानार्थी शब्‍दों का प्रयोग हो रहा हो तो वहाँ तद्रूप रूपक अलंकार माना जाता है। जैसे 
‘तू सुंदरि शचि दूसरी, यह दूजो सुरराज।
प्रस्‍तुत पद में नायक को दूसरे इन्‍द्र (सुरराज) के रूप में तथा नायिका को दूसरी इन्‍द्राणी (शची) के रूप में स्‍वीकार किया गया है, अत: यहाँ तद्रूप अलंकार है।
2-अभेद रूपक
अ भेद अर्थात बिना भेद का अतः हम कह सकते है कि
 जहाँ पर उपमेय तथा उपमान में कोई भेद नहीं रह जाता वहाँ पर अभेद रूपक होता है। जैसे:- 
  सखि ! नील नभस्सर मेँ निकला, 
             यह हंस अहा    तरता     तरता  |
 यहाँ नीले आकाश में सरोवर का इस प्रकार आरोप किया गया है कि दोनों में बिल्कुल भेद नहीं दिखाई देता
नीले आकाश - सरोवर में यह हंस- सूर्य  तैरता दिखाई देता है !
नोट:-तद्रूप का अन्य कोई भेद नहीं होता परन्तु अभेद के निम्न तीन भेद हैं जो रूपक के मुख्य भेद माने जाते हैं।
1:-निरंग  (निरवयव) रूपक
2:-सांग(सावयव)  रूपक
3:-परम्परित( संकीर्ण) रूपक
1-निरंग रूपक:-जहाँ अवयव अर्थात अंगों रहित उपमेय का उपमान पर अभेद आरोप होता है वहाँ निरंग रूपक होता है।
पहचान के लिए जब किसी पद में केवल एक जगह रूपक अलंकार की प्राप्ति होती है तो वहाँ निरंग रूपक अलंकार माना जाता है। जैसे:-
1.‘चरण-कमल मृदु मंजु तुम्‍हारे।’
2. छिनु-छिनु प्रभु-पद कमल बिलोकी ।
    रहिहौं   मुदित   दिवस  जनु  कोकी।।
3.बंदौ गुरुपद-पदुम परागा।
 2-सांग रूपक:-जहाँ काव्य/पद में उपमेय के अंगों अर्थातअवयवों पर उपमान के अंगों अर्थात अवयवों का आरोप किया जाता है वहाँ सांग रूपक अलंकार होता है।दूसरे शब्‍दों में जब उपमेय को उपमान बनाया जाये और उपमान के अंग भी उपमेय के साथ वर्णित किये जाए तब सांगरूपक अलंकार होता है।इस रूपक में जिस आरोप की प्रधानता होती है, उसे ‘अंगी’ कहते हैं। शेष आरोप गौण रूप से उसके अंग बन कर आते हैं।सामान्‍य पहचान के लिए जब किसी पद में एक से अधिक स्‍थानों पर रूपक की प्राप्ति होती है तो वहाँ सांगरूपक अलंकार माना जाता है। जैसे :-
1.उदित उदयगिरि मंच पर, रघुवर बाल-पतंग।
  बिकसे संत सरोज सब, हरषे लोचन-भृंग।।
उपमेय                   –          उपम
सीता स्‍वयंवर मंच     –         उदयगिरि
रघुवर (राम)            –         बाल-पतंग (बाल सूर्य)
संत                       –           सरोज (कमल-वन)
लोचन                    –         भृंग (भ्रमर)
2.बीती विभावरी जाग री।
 अम्‍बर-पनघट में डूबो रही तारा-घट उषा नागरी।।उपमेय                        –          उपमान
नागरी (नगर में रहने वाली) –           उषा  
घट                                –             तारा
पनघट                           –          अम्‍बर
अन्य उदाहरण:- 
3:-नाम पाहरू दिवस निसि ध्यान तुम्हार कपाट।
लोचन निज पद जंत्रित जाहि प्रान केहि बाट।।
4:-रनित भृंग- घंटावाली झरति दान मधु-नीर।
मंद -मंद आवत चल्यो कुंजर कुंज- शरीर।।
5.राम कथा सुन्दर करतारी।
संसय बिहग उड़ावनिहारी।
6.बंदौ  गुरु पद कंज कृपा सिंधु नर रुप हरि।
   महामोह तंपुंज जासु बचन रबिकर निकर।।
7.संपति चकई भरतु चक मुनि आयसु खेलवार।
   तेहि निसि आश्रम पिंजरा राखे भा भिनुसार।।3.परम्परित रूपक:-जहाँ उपमेय पर एक आरोप दूसरे आरोप का कारण होता है वहाँ परम्परित रूपक होता है।दूसरे शब्दों में जब किसी पद में कम से कम दो रूपक अवश्‍य होऔर उनमें से एक रूपक के द्वारा दूसरे रूपक की पुष्टि हो तो वहाँ परम्‍परित रूपक अलंकार माना जाता है
 जैसे:-
1. तुम बिनु रघुकुल-कुमुद विधु सुरपुर नरक समान।
   यहाँ पर रघुकुल में कुमुद का आरोप किया गया है जो राम में विधु के आरोप का कारण  है अतः यहाँ पर परंपरित रुपक  है।
अन्य उदाहरण:-
2 . जय जय जय गिरिराज किशोरी।
     जय महेश मुख चन्‍द्र चकोरी।
3-बढ़त-बढ़त सम्पत्ति-सलिल,मन-सरोज बढ़ि जाय।
4-राम-कथा सुन्दर करतारी।
  संशय-विहग उड़ावन हारी।
         ।।। धन्यवाद ।।।


            

                     धन्यवाद

।।USEOF PREPOSITIONS +VERB & NOUN।।

Use of Prepositions +Verb & Noun

नियम:- of,to, at for इत्यादि prepositions के 
 बाद कोई verb आए तो उसमे ing जुड़ जाता है।

          इसका कारण है कि preposition  के बाद
 noun का आना आवश्यक होता है।

           और preposition के बाद ing से जुड़ी
 verb ,noun बन जाती है।
  
Examples:-
Jeenat is fond of smoking.

वह  परिश्रम करने का अभ्यस्त है
He is used to labouring.

वे अपने जीवन को बर्बाद करने पर तुले हैं।
They are bent upon ruining their lives.


तुम चलते-चलते थक गए हों
You are tired with walking.

यह हमेशा याद रहे कि यदि prepositions के बाद
Noun आये तो nounमें ing कदापि नहीं जुड़ेंगा।
जैसे 
He is fond of tobacco.
He was charmed with  beauty.
He went out for  a walk
                          Thanks.                          

गुरुवार, 29 अप्रैल 2021

Use of Made of,Full of & Covered with

       ।।Made of,full of & covered with.।।                 

1:- ध्यान रखें कि बना हुआ, भरा हुआ और ढका हुआ कि अंग्रेजी क्रमशःmade of,full of & covered withहैं। 

 इनके साथ to be का प्रयोग होता है।
Examples

1. The chair was made of wood.

2.The baskets were full of flowers.

3.The basket was covered with a cloth

ध्यान रखें material noun का प्रयोग एकवचन में होता है----

1.The house is made of brick.

2.The pots were made of clay. 
 
Soil, earth,mud ,clay का अर्थ क्रमशः वह मिट्टी जिसमें पेड़-पौधे व फसले उगती हैं, साधारण मिट्टी, गिली मिट्टी और गूँथी मिट्टी है।

1.The soil of this field is fertile.

2.He covered the dead body with earth

3.Some houses were made of mud.

4.The pots were made of clay.

Hair,fur,wool, down & feather ये सब बाल हैं परन्तु क्रमशः इन्सान, पशु, भेड़,पंक्षियों के छोटे बाल और पंक्षियों के बड़े बाल के लिए आते हैं।

    आटा और फूल की अंग्रेजी शब्दों के उच्चारण एक से होते हैं spelling में अंतर है --flour,flower फ्लाउर

                       THANKS

।।उपमा अलंकार simile।।


    उपमा अलंकार 

     【SIMILE】

   उपमा दो भिन्न-भिन्न वस्तु या
 प्राणी को बराबर-बराबर तौलने
 का प्रयत्न करती है। उपमा दो
 शब्दों से मिलकर बना है:-
उप+मा यहाँ उप का अर्थ है
 समीप,पास या निकट और
 मा का अर्थ है देखना, तौलना,
मापना या तुलना करना।
 इस प्रकार उपमा का शाब्दिक 
अर्थ भी होता है निकट से तुलना
 करना या समानता करना।
   👍उपमा की परिभाषा है:
जहाँ एक वस्तु या प्राणी की
 तुलना अत्यन्त समानता के 
कारण किसी अन्य प्रसिद्ध 
वस्तु या प्राणी से की जाती है 
 वहाँ उपमा अलंकार होता है।
जैसे:-चाँद सा  सुन्दर मुख यहाँ
 मुख की तुलना चाँद से।
🙅उपमा अलंकार के अंग
उपमा अलंकार के चार अंग होते हैं:- 
उपमेय,उपमान, साधारण धर्म और
 सादृश्य वाचक शब्द।
1-उपमेय :- इसे प्रत्यक्ष /प्रस्तुत/
 present  नामों से भी जाना 
जाता है। उपमेय का अर्थ होता
 है उपमा देने योग्य अर्थात वह 
वस्तु या प्राणी जिसकी उपमा दी 
जाय उसे  उपमेय कहते हैं।जैसे-
 मुख ,मन आदि।
2- उपमान :- इसे अप्रत्यक्ष / 
अप्रस्तुत/absent  नामों  से भी 
जाना जाता है।उपमेय की तुलना 
जिससे की जाती है वह उपमान 
होता है अर्थात वह प्रसिद्ध बिन्दु
 या प्राणी जिससे  तुलना की जाय
 उसे उपमान कहते हैं।जैसे-कमल,
चाँद आदि।
3- साधारण धर्म:- उपमान तथा
उपमेय में पाया जाने वाला परस्पर 
समान गुण  साधारण धर्म कहलाता
 है जैसे :-चाँद सा सुन्दर मुख में 
सुन्दर शब्द।
4-सादृश्य वाचक शव्द:- उपमेय 
और उपमान के बीच समानता बताने 
के लिए जिस शब्द का प्रयोग होता हैं 
उस शब्द को सादृश्य वाचक शब्द या 
वाचक शब्द  कहते हैं वास्तव में उपमा
 अलंकार को पहचानने में इनका बहुत
 बड़ा योगदान होता है जैसे:-से, सा, सी, 
सम, समान, सरिस, जैसा, तैसा, कैसा, 
वैसा, जैसे जिमि, वैसे, तैसे, कैसे, 
जिससे,उससे,इव,की नाई ,की तरह 
के अर्थ के आदि शब्द।
👍उपमा अलंकार के भेद :-उपमा 
अलंकार के तीन भेद हैं:-1 .पूर्णोपमा  
2 .लुप्तोपमा  और 3. मालोपमा 
💐(1)पूर्णोपमा – जब वाक्य में उपमा 
के चारों अंग अर्थात – उपमेय , उपमान 
 ,साधारण धर्म तथा वाचक शब्द उपस्थित
 हो तब वहाँ पूर्णोपमा अलंकार होता है।
उदाहरण:-
👍1-उषा-सुनहले तीर बरसती
   जय-लक्ष्मी-सी उदित हुई।
यहाँ उपमेय-उषा,उपमान-जय-लक्ष्मी,
साधारण धर्म-उदित हुई(सुनहले तीर 
बरसती)और वाचक शब्द-सी अर्थात 
उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं अतः
 पूर्णोपमा अलंकार है।
👍2. सुनि सुरसरि सम सीतल बानी।
यहाँ उपमेय-बानी, उपमान-सुरसरि,
साधारण धर्म-सीतल और वाचक 
शब्द-समअर्थात उपमा के चारों 
अंग उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा 
अलंकार है।
👍3-राम लखन सीता सहित
 सोहत परण निकेत।
  जिमि बस बासव अमरपुर
 सची जयंत समेत।
यहाँ उपमेय-राम लखन सीता
 और परण निकेत,उपमान- 
वासव सची जयन्त  और अमरपुर,
साधारण धर्म-सोहत,वाचक शब्द-
जिमि अर्थात उपमा के चारों अंग
 उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा 
अलंकार है।
👍4-करिकर सरिस सुभग भुजदण्डा
यहाँ उपमेय-भुजदण्डा,उपमान-करिकर,
साधारण धर्म- सुभग,वाचक शब्द-सरिस
 अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं
 अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍5.निज अघ समुझि न 
कछु कहि जाई।
तपै अवा इव
 उर अधिकाई।
यहाँ उपमेय-उर,उपमान-अवा,
साधारण धर्म-तपै,वाचक
 शब्द-इव अर्थात उपमा के
 चारों अंग उपस्थित हैं अतः 
पूर्णोपमा अलंकार है।
👍6-कीरति भनीति 
भूति भलि सोई।
   सुरसरि सम 
सबकर हित होई।।
कीर्ति,कविता और सम्पत्ति वही 
भली है जो गंगा की तरह
 सबका हित करती है।
यहाँ उपमेय-कीरति भनीति 
भूति,उपमान-गंगा,साधारण
 धर्म-हित,वाचक शब्द-सम 
अर्थात उपमा के चारों अंग 
उपस्थित हैं अतः पूर्णोपमा
 अलंकार है।
👍7-सादर कहहि सुनहि बुध ताही।
 मधुकर सरिस संत गुनग्राही।।
यहाँ उपमेय-संत,उपमान-मधुकर,
साधारण धर्म- गुनग्राही,वाचक शब्द-सरिस 
अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं 
अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍8-पहेली सा जीवन है व्यस्त।
यहाँ उपमेय-जीवन,उपमान-पहेली,
साधारण धर्म-है व्यस्त,वाचक शब्द-सा 
अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं 
अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍9-नदियाँ जिसकी यशधारा सी
   बहती है अब निशि वासर ।
यहाँ उपमेय-नदियाँ,उपमान-यशधारा,
 साधारण धर्म-बहती, वाचक शब्द- सी
 अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं
 अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍10-हरिपद कोमल कमल से ।
यहाँ उपमेय-हरिपद,उपमान-कमल, 
साधारण धर्म-कोमल,वाचक शब्द-से
 अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं 
अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍11-अस  मन गुनई  राउ नहि बोला।
     पीपर पात सरिस मन डोला।।
यहाँ उपमेय-मन,उपमान-पीपर पात
साधारण धर्म-डोला, वाचक शब्द-सरिस
 अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित हैं 
अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
👍12.सीता राम संग बन बासू।
  कोटि अमरपुर सरिस सुपासू।।
यहाँ उपमेय-सीता राम संग बन बासू ,
उपमान-कोटि अमरपुर,साधारण
 धर्म-सुपासू,वाचक शब्द-सरिस
अर्थात उपमा के चारों अंग उपस्थित
 हैं अतः पूर्णोपमा अलंकार है।
💐(2)लुप्तोपमा – जिस पंक्ति में उपमा
 अलंकार के चारों अंग में से एक या 
अधिक अंग लुप्त हो वहां लुप्तोपमा 
अलंकार होता है।ध्यान यह देना है कि 
जहाँ जो अंग लुप्त होता है वहाँ उस नाम 
का लुप्तोपमा अलंकार होता है। आइये 
अब हम अंगों के लुप्त होने के हिसाब 
से प्रत्येक लुप्तोपमा को देखते हैं।
(अ) उपमेय लुप्तोपमा:-
1-पड़ी थी बिजली सी विकराल ।
यहाँ उपमान -बिजली,वाचक शब्द-सी,
 साधारण धर्म- विकराल तो हैं पर उपमेय 
नहीं  है अतः यहाँ उपमेय लुप्तोपमा है।
2-धर्म हेतु अवतरेउ गोसाई।
   मारेहु मोहि व्याध की नाई।
यहाँ उपमान -ब्याध,वाचक-शब्द-की नाई,
 साधारण धर्म - मारेहु तो हैं पर उपमेय 
नहीं  है अतः यहाँ उपमेय लुप्तोपमा है।
(ब)-उपमान लुप्तोपमा:-
1-जौ पट तरिय तीय सम सिया।
  जग अस जुवती कहाँ कमनीया।
यहाँ उपमेय -सिया,वाचक-शब्द-जौ, 
साधारण धर्म - कमनीया तो हैं पर 
उपमान नहीं  है अतः यहाँ उपमान
 लुप्तोपमा है।
(स)-वाचक लुप्तोपमा:-
नील सरोरुह स्याम 
तरुन अरुन बारिज नयन।
करहु सो मम उर धाम 
सदा क्षीर सागर सयन।।
यहाँ उपमेय-नयन, उपमान-नील 
सरोरुहऔरअरुन बारिज साधारण 
धर्म- स्यामऔर तरुन तो हैं पर वाचक 
शब्द नहीं है अतः वाचक लुप्तोपमा है।
(द)-धर्म लुप्तोपमा:-
1-करि प्रणाम रामहि त्रिपुरारी।
  हरषि सुधा सम गिरा उचारी।
2-कोटि कुलिस सम वचन तुम्हारा।
इन दोनों उदाहरणों में उपमेय,उपमान,
वाचक शब्द तो हैं पर साधारण धर्म के
 नहीं होने के कारण धर्म लुप्तोपमा है।
विशेष:-जो-जो अंग नहीं होते हैं उन-उन 
के नाम से लुप्तोपमा हो जाता है जैसे:- 
वाचक उपमान लुप्तोपमा का यह 
उदाहरण है-
सुनि केवट के बैन
 प्रेम लपेटे अटपटे।
बिहसे  करुना अयन 
चितइ जानकी लखन तन।।
💐(3)मालोपमा – जिस पंक्ति में एक 
से अधिक उपमेय तथा उपमान 
उपस्थित हो।  जिससे ऐसा प्रतीत हो 
कि काव्य में उनकी माला बन गई हो 
तब वहाँ मालोपमा अलंकार होता है।
उदाहरण:-
1:-हिमवंत जिमि गिरिजा महेसहि 
हरिहि श्री सागर दई।
तिमि जनक रामहि सिय समर्पी 
बिश्वकल कीरति नई।।
2:- हिरनी से मीन से ,
 सुखखंजन समान चारु
  अमल कमल से , 
विलोचन तिहारे हैं।
3:-जिन्ह हरि कथा सुनी नहि काना।
    श्रवन रन्ध्र अहि भवन समाना।
    नयनन्हि संत दरस नहि देखा।
    लोचन मोर पंख कर लेखा।
    ते सिर कटु तुंबरि सम तूला।
    जे न नमत हरि गुरु पद मूला।
    जिन्ह हरिभगति हृदयँ नहिं आनी।
    जीवत सव समान तेइ प्रानी॥
    जो नहिं करइ राम गुन गाना।
    जीह सो दादुर जीह समाना॥
    कुलिस कठोर निठुर सोइ छाती।
    सुनि हरिचरित न जो हरषाती॥
इतनी सुन्दर मालोपमा शायद ही 
कहीं और सुलभ हो।
        ।।          धन्यवाद       ।।

मंगलवार, 27 अप्रैल 2021

The Verb To Be & Adjectives

       Is, are,am,was, were & adjectives
(A)श्री कृष्ण का जन्म मथुरा में हुआ था।
Shree Krishan was born at Mathura.
1:-पैदा (born) adjectiveहै अतः इसके साथ बचन,पुरुष और काल के अनुसार is,are,am,was, were का प्रयोग होगा।He bornगलत He was born . Right
Born के साथ में की English स्थान से पहले at लिखते है।
(B)अयोध्या में दशरथ नामक एक राजा थे।
There was a king in Ayodhya named Dashrath.
वृध्दावस्था में उनके चार लड़के पैदा हुए।
Four sons were born to him in his old age.
उनके राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न नाम रखे गये।
They were named Ram, Lakshman, Bharat and Shatrughan.
2:-नामक(named) name  का प्रयोग संज्ञा, क्रिया और विशेषण के रुप में होता है।
क्रिया के रुप इसका प्रयोग होने पर इसके पहले to be का कोई रुप होगा। 3 
विशेषण के रूप में जिस संज्ञा का वह विशेषण होगा उसके बाद आयेगा। 
He lived at a village named Rampur.
संज्ञा के रुप मे  नियमानुसार
The name of my father is Ram Narayan.
3:- कहलाता है(is called) is used like the verb name.
It is called suger.
I bathed in a river called the Narmada.
  ध्यान रखें  कि  कमरे का दरवाजा door और मुख्य/ फाटक gate होता है।
                            Thanks