कलियुगी चेला हास्य प्रसंग
एक गुरुजी गए एक गांव में, तो एक नया नया लड़का मिला , बोला हमको चेला बनाओ गुरुजी बोले बन जाओ, अब चेला बनने के बाद बोला आप गुरु हम चेला अब कुछ सुनाओ ? गुरुजी ने कहा राम राम किया करो ?
बोला यह तो साधारण बात है । गुरुजी ने मन ही मन सोचा कि यह चेला नहीं गुरु ही मिला है ! कुछ चेले सचमुच गुरु होते हैं ।गुरु जी ने कहा तो रामचरितमानस पढ़ा करो ? चेला बोला रामायण सब जानते हैं , तो गुरु जी ने कहा गीता ? हां यह कुछ ठीक है, कुछ ! तो गुरुजी बोले आज गीता का महात्म्य कल सुनाऊंगा ।अब महात्म में उन्होंने श्लोक सुनाया--
सर्वो उपनिषदों गावो दोग्धा गोपाल नन्दनः ।
अर्थात् उपनिषद सब गाये हैं और दुहने वाले भगवान श्रीकृष्ण हैं ।
एक घंटे तक व्याख्यान दिया चेला बीच में ही कह गया-- आहा आहा महाराज वाह वाह वाह क्या बात कही है |
वाह वाह,, गुरु जी का और उत्साह बढ़ा की चेला कितने ध्यान से सुन रहा है, इतनी प्रशंसा की तो गुरु जी और सुनाते गए एक घंटे बाद गुरू जी बोले कि बेटा कुछ समझ में ना आया हो तो पूछ लो ? चेला बोला हमें समझ में ना आया हो, हमें !आप कम समझाते हो हम ज्यादा समझते हैं ! गुरु जी ने मन ही मन कहा कि हम ही नहीं समझ पाए पहले तुम्हें ! लेकिन चलो मैं गुरुजी हैं तुम गुरुजी की इज्जत रखलो पूछ ही लो कुछ ? तो चेला बोला गुरु और तो सब एक एक अक्षर मेरी समझ में आ गया है,केवल एक बात समझ में नहीं आई | कौन सी ? आप कथा में बता रहे थे--
दोग्धागोपाल नन्दनः ।
तो गुरुजी सब बात तो समझ लिया पर यह नहीं समझा कि ये दो गधे कौन थे, गुरू जी विचार करने लगे क्या समझाया क्या समझा। गुरू जी ने माथा प अपना पीटा। चेला बोला गुरुजी जवाब नहीं दिया- मुझे बताए तो सही ये दो गधे कौन थे ? गुरुजी हतप्रद।मौन। सास लिए चुप्पी तोड़े और बोले एक हम दूसरे तुम ! एक तुम सुनने वाले और दूसरे हम तुम्हें सुनाने वाले !!
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