आधार महादेवजी का यह कथन
पूँछेहु रघुपति कथा प्रसंगा । सकल लोक जग पावनि गंगा
तुम्ह रघुबीर चरन अनुरागी । कीन्हिहु प्रश्न जगत हित लागी
अर्थात्- तुमने श्रीरघुनाथजीके कथाके प्रसंग अर्थात् कथा और उसके प्रसंग पूछे हैं, जो समस्त लोकोंके लिये जगत्पावनी गंगाजी के समान है ।तुम श्रीरघुवीरजीके चरणोंकी अनुरागिणी हो। तुमने प्रश्न जगत्के कल्याणके लिये किये हैं। पार्वतीजीने कहा था 'रघुपति कथा कहहु करि दाया', वही बात यहाँ शिवजी कह रहे हैं। कथा प्रसंगा कथाके प्रसंग । पार्वतीजीने कथाके प्रसंग भी पूछे हैं,जैसे कि— 'प्रथम सो कारन कहहु बिचारी।', 'पुनि प्रभु कहहु राम अवतारा','बालचरित पुनि कहहु उदारा' इत्यादि।
ये सब कथाके प्रसंग ही हैं। इसीसे 'कथा प्रसंग' पूछना कहा। किसी-किसीका मत है कि 'यहाँ कथा और
प्रसंग दो बातें हैं। पार्वतीजीने प्रथम जो यह कहा था कि 'रघुपति कथा कहहु करि दाया' कौन सी कथा जो कथा'सकल लोक जग पावनि गंगा है ।' अर्थात् सकल लोक और जगत्को पावन करनेवाली राम कथा ही हैं। जैसा कि बाल्मिकी रामायण में भी कहा गया है- 'वाल्मीकिगिरिसम्भूता रामसागरगामिनी ।
पुनातु भुवनं पुण्या रामायण महानदी॥'
श्रीभगीरथ महाराज केवल अपने पुरुखा सगरमहाराजके
पुत्रोंके उद्धारके लिये गंगाजीको पृथ्वीपर लाये । पर इस कार्यसे केवल उन्हींका उपकार नहीं हुआ वरन् तीनों
लोकोंका हुआ और आज भी हो रहा है क्योंकि गंगाजीकी एक धारा स्वर्गको और एक पातालको भी गयी
जहाँ वे मन्दाकिनी और भोगवती नामसे प्रसिद्ध हुईं। श्रीशिवजी कहते हैं कि इसी तरह तुम्हारे प्रश्नोंसे तीनों
लोकोंका हित होगा । यहाँ पार्वतीजीका प्रश्न भगीरथ है कथाको जो कहेंगे वह गंगा है। और यह वह गंगा है जो'सबहि सुलभ सब दिन सब देसा। सेवत सादर समन कलेसा ॥'
।। जय श्री राम जय हनुमान।।
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