बुधवार, 1 अगस्त 2018
पवन सुत सन अरज मम आजू
मंगलवार, 24 अप्रैल 2018
स्वागत गीत welcome song
आतुर हम स्वागत करने को, थाली में ले रोली-चन्दन II
नेह आपका पाने को, शबरी सा आतुर जन जन मन I
नव आगन्तुक को है प्रणाम, स्वागत सादर अभिनन्दन I I १ I I
मन-चकोर है नाच रहा, पा स्वाति बूँद सा तेरा दर्शन I
तेरे स्वागत में बन बसंत, चमका अनन्त सा मन-दर्पन I I
आलिंगन पाने को तेरे आतुर, पुष्प- हार, अक्षत- चन्दन I
नव आगन्तुक को है प्रणाम,स्वागत सादर अभिनन्दन I I २ I I
इस बगिया के हर फूलों के, हुवे आप हैं कृष्ण-भ्रमर I
स्नेह-राशि इतना बरसा दो, रखो न कोई कोर कसर I I
हम सब हैं तेरे ब्रज वासी, तू हमरा बन जा राधा-रमनI
नवआगन्तुक को है प्रणाम, स्वागत सादर अभिनन्दन I I ३I I
नाथों के नाथ भोले नाथ सा,आज यहाँ बन बड दानी I
मान करे सम्मान करे ,उत्थान करे करे न आना कानी I I
आज यहाँ सब लालायित,दर्शन को तेरे करुना अयन I
नव आगन्तुक को है प्रणाम,स्वागत सादर अभिनन्दन I I ४I I
बुधवार, 18 अप्रैल 2018
युग धर्म time religion
मंगलवार, 17 अप्रैल 2018
शान्त हो झट अशान्त दावानल भारत कानन
त्रय ताप दाप निवारिनी अमल अनन्त करुनामय !!१!!
सदा सर्व हित नित रत माँ दुःख दारिद्र निवारिनी !
तेरी सदा ही जय हो जय हो हे माँ जगद्व्यापिनी !!२!!
हे वीणावादिनी जहां में नव राग रागिनी भर दो !
हे श्वेताम्बरी सुख स्नेह सौहार्द सत कामना दे दो !!३!!
कमलासिनी कल कल कवलित कलि कलित !
कामी कुण्ठित कुपथी का कर कल्याण ललित!!४!!
भयहारिणी नित नव भय ग्रस्त त्रस्त जन जन !
कृपा कटाक्ष हो सदा निर्भय हर तन मन जन !!५!!
प्रेमाम्बु भरो यहाँ हर नयनो में न वैमनस्यता !
हम दानवता तज फैलाये जगत में मानवता!!६!!
हे भारती भर भारत भर भरपूर भायप मुदा !
जन जन से प्रेम प्रकाश आश मत होवे जुदा !!७!!
आज भारत नागर आरत निहारत तव आनन!
शान्त हो झट अशान्त दावानल भारत कानन !!८!!
रविवार, 18 मार्च 2018
।।मंगलमय हो विलम्बी संवत्सर।।
सत शत नमन है विलम्बी संवत्सर।
बत्तीसवॉ स्थान हैं स्वामी विश्वेश्वर ।।
सोलह कलाएं भरे जग में हरि हर ।
नित नव रस दे दो हजार पचहत्तर ।।
जन जन के जीवन में आ के बहार।
सुख-शान्ति से भरे हर आँगन द्वार।।
गिरिजा शंकर की कामना बार बार।
दुःख-दर्द हो दूर खुशियॉ हो हजार।।
बुधवार, 7 मार्च 2018
।।एक का न था न रहा न रहेगा भी।।nothing was same or will be same
बहुत बीत गया बहुत बीतेगा अभी।
आओ विचारे आज हम सब सभी।।
क्या कैसे कब कहते कभी-कभी।
सबकी करे सब बात सत-सत सभी।। 1।।
शहर की आबोहवा में गवईपन भी।
गाँव की गली-गली शहरीपन भी।।
सत शिव सुन्दर सरग-नरक भी।
हैं दुःख-दर्द जहाँ सुख मरहम भी।। 2।।
प्राची प्रदीची उदीची अवाची भी।
आग्नेय नैऋत्य वायव्य ईशान भी।।
उर्ध्व-अधः मध्य सर्व ज्ञाताज्ञात भी।
ईश वायु-प्राणाधार वायुनन्दन भी।। 3।।
राम-कृष्ण बुद्ध-महावीर अन्य भी।
भारत वेद पुरान गीता कुरान भी।।
सिख ईसाई हिन्दू मुसलमान भी।
भारत बाग में खिले नर पुष्प भी।। 4।।
एक का न था न रहा न रहेगा भी।
एक सा न था न रहा न रहेगा भी।।
बाग था बाग सदा बाग रहेगा भी।
युगों से आबाद आबाद रहेगा भी।। 5।।
सोमवार, 27 मार्च 2017
साधारण-शुभ संवत्सर,नीति-प्रीति दे जन- जन पर।।
नव जीवन का उल्लास लिए,रग-रग में नव राग लिए।साधरण-शुभ संवत्सर कर- कमलन यश-हार लिए।।धर्म-अर्थ को साथ किये,काम लाय हुलसाय हिये।बन अलकनंदा पयप्रसविनी जन जन को सम्मान दिये।।आस पूर पूर जन का,मान भरे मनका-मनका। नित नूतन उपहार मिले सबको रबका।।कामना हमारी हो साधारण पर शुभ संवत्सर।हमरा नव वर्ष है तो हम नीति प्रीति राखे जन जन पर।।