गुरुवार, 25 अप्रैल 2024

सोरठा

सोरठा
सोरठा अर्ध सम मात्रिक छंद है और यह दोहा का ठीक उल्टा होता है। इसके विषम चरणों(प्रथम और तृतीय ) में 11-11 मात्राएँ और सम (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरणों में 13-13 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के अंत में एक गुरु और एक लघु मात्रा का होना उत्तम माना जाता है।
सोरठा छंद के द्वितीय तथा चतुर्थ चरण के आरम्भ में जगण का आना अच्छा नहीं माना जाता है।
उदाहरण -
1-जो सुमिरत सिधि होय,
  गननायक करिबर बदन।
  करहु अनुग्रह सोय, 
  बुद्धि रासि सुभ गुन सदन॥1।।
2-जानि गौरि अनुकूल, 
   सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
   मंजुल मंगल मूल,
    बाम अंग फरकन लगे॥2।।
।।।धन्यवाद।।।

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