लंकाकांड की वंदना और सुंदरकांड की वंदना में समानता :
लंकाकांड की वंदना आप सब जानते ही हैं: जो यो है:
रामं कामारिसेव्यं भवभयहरणं कालमत्तेभसिंहं
योगीन्द्रं ज्ञानगम्यं गुणनिधिमजितं निर्गुणं निर्विकारम्।
मायातीतं सुरेशं खलवधनिरतं ब्रह्मवृन्दैकदेवं
वंदे कंदावदातं सरसिजनयनं देवमुर्वीशरूपम्॥ 1॥
यहाँ के 'योगीन्द्रम् १, अजितम् २,
निर्विकारम् ३, भवभयहरणम् ४, कामारिसेव्यम् ५, ज्ञानगम्यम् ६, निर्गुणम् ७, रामम् ८, ईशम् ९, सुरेशम् १०,माया (तीतम्) ११, ब्रह्मवृन्दैकदेवम् १२, कन्दावदातम् १३, खलवधनिरतं रामम् १४, उर्वीशरूपम् १५ और वन्दे
१६ की जगह यहाँ
सुंदरकांड की वंदना है
शान्तं शाश्वतमप्रमेयमनघं निर्वाणशान्तिप्रदं
ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यमनिशं वेदान्तवेद्यं विभुम्।
रामाख्यं जगदीश्वरं सुरगुरुं मायामनुष्यं हरिं
वन्देऽहं करुणाकरं रघुवरं भूपालचूड़ामणिम्।।
जिसमे शान्तम् १, शाश्वतम् २, अनघम् ३, निर्वाणशान्तिप्रदम् ४, ब्रह्माशम्भुफणीन्द्रसेव्यम् ५, वेदान्तवेद्यम् ६, विभुम् ७, रामाख्यम् ८, जगदीश्वरम् ९, सुरगुरुम् १०, मायामनुष्यम् ११, हरिम् १२, करुणाकरम् १३ रघुवरम्१४भूपालचूड़ामणीं१५ और वंदे१६ शब्द हैं।।
इस मिलानसे प्रभु श्री राम के विशेषणोंके भाव स्पष्ट हो जाते है।
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