शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

।।पर्याय अलंकार।।

                 ।।पर्याय अलंकार।।
     जहाँ एक वस्तु की अनेक वस्तुओं में अथवा अनेक वस्तुओं की एक वस्तु में क्रम से (काल-भेद से) स्थिति का वर्णन हो वहां पर्याय अलंकार होता है।यह एक वाक्य न्यायमूलक अलंकार है।                                    इसके  मुख्य दो भेद हैं--                       
 1.एक वस्तु की अनेक वस्तुओं में क्रमशः स्थिति
जागबलिक जो कथा सुहाई। 
भरद्वाज मुनिबरहि सुनाई॥
कहिहउँ सोइ संबाद बखानी।
 सुनहुँ सकल सज्जन सुखु मानी॥
संभु कीन्ह यह चरित सुहावा। 
बहुरि कृपा करि उमहि सुनावा॥
सोइ सिव कागभुसुंडिहि दीन्हा। 
राम भगत अधिकारी चीन्हा॥
तेहि सन जागबलिक पुनि पावा। 
तिन्ह पुनि भरद्वाज प्रति गावा॥
 2.अनेक वस्तुओं की एक वस्तु में क्रमशः स्थिति
देखे सिव बिधि बिष्नु अनेका।
 अमित प्रभाउ एक तें एका॥
बंदत चरन करत प्रभु सेवा। 
बिबिध बेष देखे सब देवा॥
सती बिधात्री इंदिरा देखीं अमित अनूप।
जेहिं जेहिं बेष अजादि सुर तेहि तेहि तन अनुरूप।

                 ।।धन्यवाद।।

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