हम रघुबर राम के नाम की बन्दना करते हैं जो अग्नि,सूर्य और चंद्रमा का कारण स्वरूप है।जानते है-- राम नाम के तीन वर्ण र, अ और म क्रमशः कृसानु (अग्नि), भानु (सूर्य) और हिमकर (चन्द्रमा) के हेतु(कारण)हैं।
यह बात सुज्ञात अर्थात सुप्रसिद्ध है कि रकार अनलबीज, अकार भानुबीज और मकार चंद्रबीज हैं। अग्नि दोनों संध्याओं को,सूर्य दिन को और चंद्रमा रात्रि को प्रकाशित करता है तो राम नाम सभी समय को प्रकाशित करता है।जानते है कि
र= चित,आ=सत और म=आनन्द होता है और इन तीनों के योग से बना है सच्चिदानंद। और तो और इन तीनों से क्रमशः दैहिक,दैविक,और भौतिक ताप का भी नाश होता है और इनसे क्रमशः वैराग्य, ज्ञान औऱ भक्ति की भी प्राप्ति होती है। और तो और रघुबर हैं --//
रघु =जीव और बर = पति या स्वामी अर्थात समस्त चराचर के स्वामी है राम।
यही नहीं--
बिधि हरि हरमय बेद प्रान सो। अगुन अनूपम गुन निधान सो॥
राम नाम के तीनों वर्ण क्रमशः बिधि,हरि,हर ही हैं अर्थात ब्रह्मा, विष्णु ,महेश ये त्रिमूर्ति भगवान राम ही हैं। वही वेदों के प्राण,निर्गुण ब्रह्म और उपमा रहित गुणनिधान सगुण ब्रह्म भी हैं।
ऐसे पार ब्रह्म परमेश्वर रघुबर के राम नाम की हम वन्दना करते हैं।
।।जय श्री राम।।
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