(विलक्षण हेतु अर्थात करणीय सम्बन्ध)
वि=विशिष्ट, भावना=भावना, कल्पना।
सामान्यतः जबतक कोई कारण नहीं हो तब तक कार्य नहीं होता लेकिन बिना कारण के कार्य होना विशिष्ट कल्पना नहीं तो और क्या है?
इस प्रकार जहाँ बिना कारण कार्य का होना पाया जाता है वहाँ विभावना अलंकार होता है।
यह विशेषोक्ति अलंकार के विपरीत है। विशेषोक्ति में कारण होने पर भी कार्य नहीं होता किन्तु विभावना में कारण नहीं होती और तब भी कार्य हो जाता है।
आचार्य विश्वनाथ ने अपने ग्रन्थ साहित्यदर्पण में कहा है कि
विभावना विना हेतुं कार्योत्पत्तिर्यदुच्यते।।
आचार्य केशव ने भी विभावना अलंकार को स्पष्ट करते हुए लिखा है:-
“कारज के बिनु कार जहिं उदौ होत जेहिं ठौर।
तासों कहत विभावना, केशवकवि सिरमौर।।”
उदाहरण:-
(1) बिनु पद चलै सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म करै बिधि नाना।।
आनन रहित सकल रसभोगी।
बिनु बानी बकता बड़ जोगी।।
(2) क्यों न उत्पात होहिं बैरिन के झुंड में।
कारे घन उमड़ि अंगारे बरसत हैं।
(3)नाचि अचानक ही उठे बिनु पावस बन मोर।।
जानति हों नन्दित करी यह दिशि नंदकिशोर ॥
जानति हों नन्दित करी यह दिशि नंदकिशोर ॥
(4)रावण अधर्मरत भी अपना।
(5)निन्दक नियरे राखिए आँगन कुटी छवाय ।
बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय ।।
बिन पानी साबुन बिना निर्मल करे सुभाय ।।
विभावना अलंकार के छः भेद माने गये हैं-
1-प्रथम विभावना:-जहाँ कारण के बिना कार्य की सिद्धि हो।उदाहरण:-
बिनु पद चलै सुनै बिनु काना।
कर बिनु कर्म करै बिधि नाना।।
आनन रहित सकल रसभोगी।
बिनु बानी बकता बड़ जोगी।।
2-द्वितीय विभावना:-जहाँअपूर्ण कारण से ही कार्य की सिद्धि हो।उदाहरण:-
तो सों को जेहि दो सौ आदमी सों जीत्यौ
जंग सरदार सौ हज़ार असवार को॥
यहाँ शिवाजी के पराक्रम का वर्णन है। उन्होंने दो सौ सैनिकों को साथ लेकर एक लाख घुड़सवार योद्धाओं वाली सेना को जीत लिया है। युद्ध जीतने का कारण दो सौ सैनिकों का होना अपर्याप्त कारण है।एक उदाहरण और देखें-
काम कुसुम-धनु-सायक लीन्हें।
सकल भुवन अपने बस कीन्हें।।”
3-तृतीय विभावना:- जहाँ प्रतिबंधक होने पर भी कार्य की सिद्धि हो जाय।उदाहरण:-
रखवारे हति बिपिन उजारा।
देखत तोहि अक्ष जेहि मारा।।
रखवारे और तुम्हारे (रावण) जैसे प्रतिबंधक के होते हुवे हनुमानजी ने अक्षय कुमार को मार डाला।
4-चतुर्थ विभावना:-जहाँ मूल कारण के अभाव में दूसरे कारणों से कार्य की सिद्धि हो।उदाहरण :-
क्यों न उत्पात होहिं बैरिन के झुंड में।
कारे घन उमड़ि अंगारे बरसत हैं।
यहाँ युद्ध क्षेत्र में शत्रु सेना में उत्पात होने का कारण काले बादलों द्वारा अंगारों की वर्षा होना बताया गया है। यहाँ कारण (बादलों द्वारा अंगारे बरसाना) वास्तविक कारण नहीं है। वास्तविक कारण न होने पर भी किसी अन्य कल्पित कारण द्वारा कार्य होने का वर्णन होने से विभावना अलंकार है।एक उदाहरण और देखें-
हँसत बाल के बदन में, यों छबि कछू अतूल।
फूली चंपक-बेलि तें, झरत चमेली फूल।।
5-पंचम विभावना:-जहाँ विपरीत एवं विरोधी कारण से कार्य की सिद्धि हो।उदाहरण:-
खल परिहास होइ हित मोरा।
काक कहहि कल कंठ कठोरा।।
6-षष्टम विभावना:-जहाँ कल्पित कारण से कार्य की सिद्धि हो।उदाहरण :-
और नदी-नदन तें, कोकनद होत हैं।
तेरी कर कोकनद नदी-नद प्रगटत है।
कोकनद=कमल
।।Thanks।।
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