रविवार, 27 जून 2021

।।विशेष अलंकार।।

          ।।  विशेष अलंकार ।।
परिभाषा:-आधेय का आधारहीन होना,एक का अनेक गोचर होना तथा असम्भाभ्य वतस्यन्तर का निष्पादन होना विशेष अलंकार होता है।
उदाहरण:-
1.नख आयुध गिरि पादपधारी।
   चले गगन महि इच्छाचारी॥
2.सतीं दीख कौतुकु मग जाता।
    आगें रामु सहित श्री भ्राता॥
     फिरि चितवा पाछें प्रभु देखा। 
      सहित बंधु सिय सुंदर बेषा॥
     जहँ चितवहिं तहँ प्रभु आसीना। 
     सेवहिं सिद्ध मुनीस प्रबीना॥
3.मूदहु नयन बिबर तजि जाहू। 
   पैहहु सीतहि जनि पछिताहू।।
   नयन मूदि पुनि देखहिं बीरा।
    ठाढ़े सकल सिंधु कें तीरा।।
             ।। धन्यवाद।।

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