बुधवार, 2 जून 2021

।।ब्याजस्तुति अलंकार एवं ब्याजनिंन्दा अलंकार।।

ब्याजस्तुति अलंकार एवं ब्याजनिन्दा अलंकार

1.ब्याजस्तुति अलंकार :-

  काव्य में जब निंदा के बहाने       प्रशंसा किया जाता है , तो वहाँ   ब्याजस्तुति  अलंकार होता है ।

 उदाहरण :- 

 निर्गुन निलज कुबेष कपाली।   अकुल अगेह दिगंबर ब्याली।।   कहहु कवन सुखु अस बरु पाएँ।   भल भूलिहु ठग के बौराएँ॥


2.ब्याजनिंन्दा अलंकार :-
काव्य में जब प्रशंसा के बहाने निंदा किया जाता है , तो वहाँ ब्याजनिंदा अलंकार होता है । 

उदाहरण:-
1.राम साधु तुम साधु सयाने | 
राम मातु भलि मैं पहिचाने || 

 यहाँ पर ऐसा प्रतीत होता है कि कैकेयी राजा दशरथ की  प्रशंसा  कर रही हैं , किन्तु ऐसा नहीं है, वह प्रशंसा की आड़ में निंदा कर रही हैं। 

2.नाक कान बिन भगिनी निहारी।
  क्षमा कीन्ह तुम धरम विचारी।।
        यहाँ पर सुनने या पढ़ने में ऐसा लगता है कि अंगद रावण की प्रशंसा कर रहेहैं,किन्तु यहां निन्दा की जा रही है। 

         ।।   धन्यवाद   ।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें