अटल भीष्म प्रतिज्ञा जैसी आशा-ज्योति अमर।।
जन्म-मरन सा आशा-भाव की यहाँ कीर्ति अमर।
आशा ही जीवन है जन-जन में यह भाव अमर।।1।।
जननी-जनक की परिकल्पना नव आशा संचार है।
हौले-हौले प्रेम-पथ यहाँ नव जीवन का आगाज है।।
आशा-डोरी है सशक्त तो मनवांछित परिणाम है।
आशा का दामन सुख शान्ति का अद्भुत परिधान है।।2।।
आशा के बल बुते नर ने जीता अद्भुत संग्राम है।
नई ऊंचाई चढ़ाना है तो आशा बल का धाम है।।
नव-निर्माण नव-अन्वेषण में आशा ही प्रधान है।
बड़े-बड़े अग-आग के आगे आशा ही तो जान है।।3।।
नाग पाश या ब्रह्मास्त्र हो आशा ने सबको जीता।
पितामह और गुरुदेव को आशा ने मनसे जीता।।
दैहिक दैविक भौतिक को आशा ने रबसे जीता।
कालचक्र के कुचक्र को आशा बल से नरने जीता।।4।।
कर्म व्रती को आशा ने हर पग पर आयाम दिया।
आशा के बल वामन ने बलि से तीनों लोक लिया।।
आशा बल वनवासी ने अजेय अद्भुत संग्राम किया।
आशा बल मानव ने अब जल थल नभ नाप लिया।।5।।
अद्भुत बल आशा को छोड़ कभी न कापुरुष बनो। कायरता त्याग शार्दूल बन भीरु भेड़ पर वार करो।।
हे नर-सिंह निराशा छोड़ देदीप्यमान मार्तण्ड बनो।
होगी जय निश्चित अब आशा बल प्रभु विश्वास करो।।6।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें