नाम अनेक काम अनेक,देश अनेक पर भेष एक।।
रंग अनेक रूप अनेक, जाति अनेक गन्ध अनेक।
काया भी अनेक पर इनकी सुभ्रता पर लट्टू अनेक।।1।।
अमर सदा पुष्पों की बात कोमल मधुर इनकी जात।
लता बृक्ष पादप पर खूब कहते खिल खिलाकर बात।।
देश- विदेश का भेद नाम भेद भी हो यहाँ-वहाँ तात।
खिलें सर्दी गर्मी जाड़ा वसन्त हेमंत शिशिर बरसात।।2।।
कहीं बेल तो कहीं लता भावुक मधुर मनोहर रिश्ता।
गूलर का फूल होकर भी निभाना है यहाँ हर रिश्ता।
फूल सूंघ कर रहना पड़े रह लें न तोड़े कोई रिश्ता।
अपराजित रहना सच कहना सिखाये अपराजिता।।3।।
परिवार गाँव हर राज्य देश हैं बहु पुष्पों के गुलदस्ता।
फूल सुमन कुसुम मंजरी प्रसून पुहुप गुल नहीं सस्ता।
पंचमुखी सदाबहार नयनतारा सदाफूली से कर रिश्ता।
फूलों सह फल बृक्ष यहाँ भरें जग जीवन में पिश्ता।।4।
राष्ट्रीय पुष्प कमल हमारा सिख अनेक हमें देता है।
श्वेत नील रक्तादि वर्ण में सदा हमें एकता दर्शाता है।
उड़ीसा कर्नाटक जम्मू-काश्मीर हरियाणा बताता है।
हमारा तू ही राज्य-पुष्प जो जग लक्ष्मी को भाता है।।5।।
बहु कीट-पतंगे को बहु पुष्प आकर्षित कर लेते हैं।
मधुमख्खी हो या चमगादड़ सबको पराग ही देते हैं।।
निज अमृत से कितनों को नित ये नव जीवन देते हैं।
सुखी दुःखी कैसा भी मन हो सदा शान्ति भर देते हैं।।6।।
हम पुष्प सभी काम में हर जन सेवा हेतु समर्पित हैं।
शरीरिक-मानसिक रोग भगा जीवन करते सुरभित हैं।।
मधुरस बाग-बगीचों के हम वास्तुदोष सुदूर भगाते हैं।
इन्द्रधनुष सा सतरंगी जीवन को बहुरंगी कर देते हैं।।7।।
हम को छू कर देखो जगत तनय हम तुम्हरे जैसे हैं।
दया माया ममता मधुरिमा हम प्राण वायु सरीखे हैं।।
रामानुज की बात पवनसुत की करामात समझते हैं।
धौलागिरि से स्वर्ण नगरी पहुँच प्राण वायु भरते हैं।।8।।
पारिजात इन्द्र बाग का सत्यभामा को सिख देता है।
फूल फूल मानव के जीवन में ज़हर भी घोल देता है।।
चम्पा चमेली मोगरा जूही से नर सौम्यता पा लेता है।
रातरानी सा पुष्पों से नर संतापहारी इत्र ले लेता है।।9।।
सीता को छाँव दिया अशोक हर लिया शोक सभी।
श्वेताम्बुज निलाम्बुज आम चमेली अशोक ये सभी।।
कामदेव के अद्भुत पंच पुष्प रखते अद्भुत गुन भी।
अर्जुन अगत्स्य अमलतास गुड़हल है नर रूप भी।।10।।
लीली-लोटस की गाथा अद्भुत जग की व्यथा है।
दो की लड़ाई में तो तीजा सदा लाभ को पाता है।।
रजनीगंधा ग़यी कमल हारा गुलाब जीत जाता है।
पुष्प राज का ताज पहन गुलाबी जीवन पाता है।।11।गुलदाउदी सेवन्ती शतपत्री सेवन्तिका का राज।
इस्रायल सरकार ने मोदी नाम बनाया सरताज।।
चंद्रमुखी नसरीन बहुरोगहारी आवै सबके काज।
सेहत का खजाना गुड़हल धरा पर बिखेरे साज।।12।।
लाल पीला नीला गुलमोहरी गुलमोहर यहाँ।
खेजड़ी राज का राज पेड़ रोहिड़ा फूल जहाँ।।
बुंदेलखंड का गौरव ढाक का तीन पात वहाँ।
उत्तर पुष्प टेसू किंशुक पलाश ब्रह्मबृक्ष रहाँ।।13।।
पुष्पों की जीवंतता से जल भून मृतात्मा कहा।
मरना ही शाश्वत तो तुम क्यों खिलखिला रहा।।
खिलना ही जीवन है इस हेतु खिलखिला रहा।
मृत्यु डर रे कायर तू मुझे कायरता सिखा रहा।।14।।
गेंदा हजारों रंग पंखुड़ियों से फूलों का कहता है।
गर्व हमें जो सब बंधन तज सबके लिए रहता है।।
पुष्प हार हार बन नित मानव को प्रेरित करता है।
वही मानव महामानव जो हर हाल हर्षित रहता है।।15।।