छोटे-बडे ज्ञानी-अज्ञानी जन-जन की जुबानी!!
विश्वासघातियो ने विश्वास का गला घोट दिया!
हमेशा अपनो ने ही है विश्वासघात किया!!
अपना या अपनाबन अपनत्व ला लिया!
फिर मौका मिलते ही उस अपने का गला दबा दिया!!
अपना हो या पराया इन्हे कोई नहीं है भाया!
केवल स्व पर ध्यान दे अवसर को है भुनाया!!
अपनो की लूट पर रहते है मस्त!
समय आने पर खुद बा खुद होते है पस्त!!
इन्हें ईमान मान ईश्वर से न होता है डर!
इनका एक ही वसूल बस कैसे काटे दूसरो का पर!!
ये गटकते पर मान धन गटागट!
भले ही समय आने पर हो जाये सफाचट!!
विश्वासघत हो जाती है इनकी लत!
खैर अंत मे बिगङ जाती है इसकी गत!!
ए जन मान यदि तू ईमान!
मत बन तु कभी बेइमान!!
जिसने रखो है आस!
तू पुर्ण कर उसका विश्वास!!
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