पतित पावन जन भावन,हे अंजना नंदन!
प्राण प्रण धन मान हित,स्वीकार हो वंदन!!१!!
केसरी सुत तू रामदूत,लखन के प्राण रक्षक!
संकट मोचक हर जन का,है तू मेरा संरक्षक!!२!!
आप जिसके है संरक्षक,हे पवनसूत हनुमान!
कभी खो न सके वह जन,स्व धन मान सम्मान!!३!!
मानवों का दानवपन, मचा रहा क्रन्दन!
मिटाये कालनेमिसा,हे असुर निकन्दन!!४!!
इस धरा पर नारियो,हो रहा नित चिरहरन!
सुआचरित हो भारती,हे सीता त्रास हरन!!५!!
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