शिव सोच की हो न कभी कमी,
सकारात्मक नकारात्मक के बीच जो जमी!
शिव अशिव शव सा हैसोच की है लत,
जानते सब है सदा क्या सही क्या गलत!
मान बढे बढाये बढ जाये इस जग में,
जिनकी सोच सही हो निज तन में!
दूषित दुर्गति दुर्निवार दोगली सोच,
लाती है निश्चित जीवन मेंअकाट्य मोच!
सत जानकर भी लाते क्यो मन में लोच,
हर हाल हर हर हर सा कर लो शिव सोच!
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