जय जय जय हे राम भक्त बजरंग बली!
सदगति दायक कष्टनिवारक फैली है बात गली-गली!!
मनमोहक तन कंचन वरन वामकाध उपनयन धरी!
सुमिरत ही जन हो सनाथ जय जय जय हे गदाधरी!!
रुद्र अंश कपि रुप ले हरि सेवा दे सेवा ज्ञान भरी!
सुर रक्षक असुर विनाशक मुग्धकारी रुप धरी!!
योगी-यती पा साथ होते सनाथ थली-थली!!१!!जय------
छूटपन से ही मातु-पिता जन सेवा पावे खरी-खरी!
गुरु घर सब हित है निशाचरी माया हर पल हरी!!
ज्ञान पिपासु नवनिधि दायक लेवे सूर्य ज्ञान खरी-खरी!
सूर्य-शनी से जनहित में वरदान कोटिक है प्राप्त करी !!
सुमिरत ही नाथ तुम्हे कोटिन की है विपदा टली!!२!!जय------
विनती हमारी हर पल हरे हर भक्त की रोग व्याधि सगरी!
ध्यान धरे तेरा जो उसके परिजनो की है हर विपदा टरी !!
धन-मान बढे जन का नित हीजो है प्रभु की भक्ति करी !
हारी बाजी जीते ही वह जिसने है आस आप से करी!!
तोङते घमंड पल मे हर प्रिय का होवे जब अहंकार बली!!३!!जय------
धर्महित भीम भाई सारथी हरि के रथी का थामा ध्वज!
लो सौप दिया तुमको मैने भी है अपना युग ध्वज!!
पावे न मात ले ज्ञान संस्कार होवे आदर्श ये कुल ध्वज!
राष्ट्र हित रत सर्वदा फैलाये गर्व से राष्ट्रध्वज!!
राज्य प्रान्त शहर गाव सङक गली मे हो न कोई खलबली!!४!!जय------
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