मौसम सुहावना हो हमेशा,
हमेशा मनभावन हो निश्चित नहीं!
आदमी एक सा हो हमेशा,
कभी- कभी मौसम की तरह-
बदलते ऑसूं हो---
आदमी के आयाम और व्यक्तित्व,
एक सा हरदम हो निश्चित नहीं !!
पर हमने देखा है मौसम को ,
तमाम बार रंग बदलते-----
और---- हमने देखा है आदमी को,
तमाम बार ढंग बदलते!
ऐसे कितने है मौसम -
जो अपने समय से होते है,
हमे नहीं मालूम कि कोई ऐसा आदमी है,
जो हमेशा एक सा रहता निश्चित नहीं!!
विज्ञान और तकनीकी की बात,
ठोस द्र्व व पदार्थों पर प्रयोग की जाती है!
आदमी भी आदमी पर नहीं करता,
करता है मनोविज्ञान प्रयोग आदमी पर,
मौसम-विज्ञान मौसम पर,
पर आदमी और मौसम दोनो पर करे प्रयोग-
ऐसा विज्ञान है क्या-- निश्चित नहीं!!
असमय का मौसम संकेत दे देता है---
भले ही भयंकर हो ,
लेकिन आदमी संकेत नहीं देता-
बल्कि चेत चैतन्य और विश्वास को-----
तोङता हुआ,वह साफ सपा- बसपा की तरह----
पहले ही नहीं------एकाएक होता है,
अन्तर है समानता है,मौसम व आदमी में!
ऐसा है क्या----निश्चित नहीं!!
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