सोमवार, 15 जनवरी 2024

।।त्रिष्टुप छंद किसे कहते हैं।।

    ।।त्रिष्टुप छंद।।

जिस छंद के चार चरण हो और
प्रत्येक चरण में ग्यारह-ग्यारह 
अक्षर हों वह त्रिष्टुप छंद होता है।

 यह श्लोक  इसका उदाहरण
होते हुवे भी इस छंद के बारे में  
भी प्रसिद्ध है:

समानो मन्त्रः समितिः समानी
समानं मनः सह चित्तमेषाम् ।
समानं मन्त्रमभि मन्त्रये वः
समानेन वो हविषा जुहोमि ॥

     अब बात आती है कि
आखिर वे कौन से छंद हैं  जिन्हें 
हम त्रिष्टुप छंद के अंतर्गत गिनेगें।
इसके लिए ये दो दोहे आपकी
सहायता करेगे::

"वर्ण ग्यारह के वर्णिक,
गिनती में हैं सात।
इंद्रवज्रा है प्रथम,
सहज शालिनी मात।। 
उपेन्द्रवज्रा स्वागता,
रथोद्धता हैं साथ।
उपजाति भुजंगी युगल,
अपनी गाते गाथ।।"

इस प्रकार हम पाते हैं 
कि कुल सात छंद हैं जिन्हें 
त्रिष्टुप छंद कहा जाता है।
इन्हें सरलता से याद करने 
के लिएआप इस कहानी का 
भी आश्रय ले सकते हैं। 

कहानी यो है:

शालिनी नाम की स्त्री अपने 
पति भुजंगी के साथ अपने
तीन पुत्रों इंद्रवज्रा, उपेंद्रवज्रा
और उपजाति को साथ ले 
रथोद्धवता रथ पर सवार हो 
अपने मायके आती है ।
जहाँ इनका स्वागत उसकी 
मॉ स्वागता करती है।

 अब यहाँ स्पष्ट हो गया है कि 
इंद्रवज्रा,उपेंद्रवज्रा,उपजाति,
शालिनी,भुजंगी,रथोद्धवता
और स्वागता इन सातों छंदों 
को त्रिष्टुप छंद कहा जाता है।
।।धन्यवाद।।

रविवार, 14 जनवरी 2024

।।दोहा छंद।।

      ।।दोहा छंद।।

दोहा अर्द्ध सम मात्रिक छंंद  है। दोहे में चार चरण 

होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय)

चरण में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों 

(द्वितीय तथा चतुर्थ) चरण में 11-11 मात्राएँ

होती हैं। सम चरणों के अंत में एक गुरु और 

एक  लघु मात्रा का होना आवश्यक होता है।

दोहे के मुख्य 23 प्रकार हैं:- 

1.भ्रमर, 2.सुभ्रमर, 3.शरभ, 4.श्येन, 

5.मण्डूक, 6.मर्कट, 7.करभ, 8.नर, 

9.हंस, 10.गयंद, 11.पयोधर, 12.बल,

 13.पान, 14.त्रिकल 15.कच्छप, 

16.मच्छ, 17.शार्दूल, 18.अहिवर, 

19.व्याल, 20.विडाल, 21.उदर, 

22.श्वान, और 23.सर्प। 

दोहे में कलों का क्रम

(अ) दोहे में विषम चरणों के कलों का क्रम

 4+4+3+2 (चौकल+चौकल+त्रिकल+द्विकल) 

या 3+3+2+3+2 (त्रिकल+त्रिकल+द्विकल+त्रिकल+द्विकल)

 शुभ माना जाता है।

(ब) दोहे के सम चरणों के कलों का क्रम 

4+4+3 (चौकल+चौकल+त्रिकल) या  

3+3+2+3 (त्रिकल+त्रिकल+द्विकल+त्रिकल) 

का होना उत्तम माना गया है।

उदाहरण -

S I  I I I.    S I I  I S  I I  I I     S S.  S I

रात-दिवस  पूनम-अमा, सुख-दुःख, छाया-धूप।

यह जीवन बहुरूपिया, बदले कितने रूप।।1।।

रहिमन पानी राखिए,बिन पानी सब सून।

पानी गए न ऊबरे,मोती मानुष चून।।2।।

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरती रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहिं सुर भूप।।3।।

मेरी भव बाधा हरौ, राधा नागरि सोय।

जा तन की झाँई परै, स्याम हरित दुति होय।।4।।

कागा काको धन हरै, कोयल काको देय।

मीठे बचन सुनाय कर, जग अपनो कर लेय।।5।।

बतरस लालच लाल की, मुरली धरी लुकाय।

सौंहे करैं भौंहनि हँसै, दैन कहै नटि जाय।।6।।

दोहों के बारे में कुछ आवश्यक बातें:

1-दोहे के सम [दूसरे एवं चौथे] चरणों के 

अन्तिम शब्‍द का अंत दीर्घ मात्रा से नहीं होता।

यानी हर दोहे की पंक्ति के अंत में लघु 

पदांत होता है ।

2- दोहे के अंत में तीन ही गण इस्तेमाल होते

 हैं: तगण [2-2-1], जगण [1-2-1] या नगण 

[1-1-1] क्योंकि इन्हीं गणों  के

 अंत में लघु  अर्थात एक मात्रा होते हैं। 

शेष गणों के अंत में गुरु या दीर्घ मात्रा = 

2 होने के कारण दूसरे व चौथे चरण के

 अंत में वे प्रयोग नहीं होते।

3- दोहे के विषम [पहले तथा तीसरे] 

चरणों के प्रथम शब्‍द जगण [1-2-1]

 यानी लघु-गुरु-लघु मात्राओं वाले नहीं

 होने चाहिए लेकिन यदि देवता का नाम

या वंदना की स्थिति हो तो  जगण 

हो सकता है।

4- दोहे के विषम चरणों के अन्त में सगण 

(1-1-2), रगण (2-1-2) या नगण (1-1-1) 

आना चाहिए।

5-दोहे का शाब्दिक अर्थ है- दुहना, अर्थात् 

शब्दों से भावों का दुहना।

6-दोहा चार चरणों वाला अर्द्धसम 

मात्रिक छन्द है।

7- दोहा लोक साहित्य का सबसे 

सरलतम और लोकप्रिय छंद है 

जिसे साहित्य में यश मिला।

8-वर्ण्य विषय की दृष्टि से दोहों का

 संसार बहुत विस्तृत है। यह यद्यपि

 नीति, अध्यात्म, प्रेम, लोक-व्यवहार,

 युगबोध – सभी स्फुट विषयों के 

साथ-साथ कथात्मक अभिव्यक्ति

 भी देता आया है, तथापि मुक्तक 

काव्य के रूप में ही अधिक

प्रचलित और प्रसिद्ध रहा है।

9-अपने छोटे से कलेवर में यह बड़ी-से-

बड़ी बात न केवल समेटता है, बल्कि 

उसमें कुछ नीतिगत तत्त्व भी भरता है।

तभी तो इसे गागर में सागर भरने 

वाला बताया गया है। 

10-संस्कृत में जो लोकप्रियता 

अनुष्टुप छंद को है वही लोकप्रियता

हिन्दी में दोहा छंद को है।

    ।। धन्यवाद।।


बुधवार, 10 जनवरी 2024

।।अधिकार के पर्यायवाची शब्द।।

।।अधिकार के पर्यायवाची शब्द।।

दो दोहों में तेईस पर्यायवाची

सामर्थ्य स्वामित्व स्वत्व ,आधिपत्य अधिकार।

कब्जा  मिल्कियत प्रभुत्व, वर्चस्व प्राधिकार।।1।।

शासन सत्ता  शक्ति हक , चंगुल पकड़ गिरफ्त।

मुठ्ठी काबु पंजा वश, दावा औ हुकूमत।।2।।

शनिवार, 6 जनवरी 2024

✓।। अहंकार के पर्यायवाची शब्द।।

  ।। अहंकार के पर्यायवाची शब्द।।
दो दोहों में 18 पर्यायवाची  शब्द:-

हेकड़ी शेखी प्राइड, इगो वैनिटी दंभ।
अहं अभिमान शान मद,अकड़ गुरूर घमंड।।1।।

यहां ध्यान रखें कि  इस दोहे में "प्राइड इगो वैनिटी ये तीन शब्द इंग्लिश के  है। गुरूर  को ग़रूर भी कहा जाता है।

इस प्रकार इस  दोहे के सभी के सभी तेरह शब्द अहंकार के पर्यायवाची हैं।
दूसरा दोहा हमें शिक्षा दे रहा है देखें:

अच्छा नहि ऐठ गुमान, करें सबका सम्मान।।
त्यागें गर्व दर्प मान, रखें निज स्वाभिमान ।।2।।

इस  दोहे में ऐठ ,गुमान, गर्व, दर्प और मान कुल पांच शब्द अहंकार के पर्यायवाची हैं। शेष शब्दों के माध्यम से इस दोहे को शिक्षाप्रद बनाया गया है।
धन्यवाद

।।काना के पर्यायवाची।।

।।काना के पर्यायवाची।।
एक दोहें में नौ पर्यायवाची शब्द
काना कनेठा काणो ,एकाक्ष एकनयन।
एकअँखा व एकनेत्र ,कनौड़ा असमनयन।। 
असमनयन को  (असमनेत्र) भी कहते हैं।
   ।। धन्यवाद।।

।। अंधा के पर्यायवाची शब्द।।

।। अंधा के पर्यायवाची शब्द।।
दो दोहों में सत्रह पर्यायवाची शब्द
दृष्टिबाधित सूरदास चक्षुविहीन चक्षुहीन।
प्रज्ञाचक्षु आँधरा सूर ब्लाइंड दृष्टिहीन।।1।।
नेत्रहीन नयनविहीन अंधा लोचनहीन।
दृगहीन दृगविहीन अक्षिविहीन अक्षिहीन।।2।।

शुक्रवार, 5 जनवरी 2024

।।अकाल के पर्यायवाची शब्द।।

     ।।अकाल के पर्यायवाची शब्द।।
अकाल शब्द का प्रयोग सामान्यतः दो अर्थों में होता है:-
1-उचित समय से पहले होनेवाली मृत्यु या अनहोनी।
2-किसी देश या बड़े भौगोलिक क्षेत्र में भोजन की अत्यधिक और सामान्य कमी।
इन अर्थों में इसके बहुचर्चित और प्रचलित इक्कीस पर्यायवाची शब्द दो दोहों में आपके सामने हैं :-
दुष्कल दुष्काल दुर्भिक्ष, कुसमय किल्लत काल।
अन्नाकाल भूखमरी, कहर दुर्दिन  दुकाल।।1 ।।
अवर्षा अकाल आफ़त, अनावृष्टि बेवक्त।
टोटा सूखा अवर्षण, दुर्विपाक नावक्त।।2।।