(तीन दोहों में 32 पर्याय)
रोहिताश्व आग आतिश,
वैश्वानर दव अनल।
पावक उष्मा ताप शुचि,
अग्नि हुताशन तपन।।1।।
धूमध्वज बाड़व जलन,
कृशानु ज्वाला दहन।
वायुसखा सागरानल,
दावाग्नि दावानल।।2।। जंगल की आग
जातवेद ज्वलन वह्नि,
जठराग्नि जठरानल। पेट की आग
धूमकेतु व पांचजन्य,
बड़वाग्नि बड़वानल।।3।। समुद्र की आग जिसे सागरानल भी कहते हैं।
अन्तिम दोहे के बड़वाग्नि और बड़वानल
की कथा को भी जान लेते हैं।
कालिका पुराण के अनुसार महादेव की वह क्रोधाग्नि जिसने कामदेव को भस्म कर दिया उसी को संसार कल्याण हेतु पितामह ब्रह्मा ने बड़वा/ घोड़ी के रूप में सागर के हवाले कर दिया ।
बाल्मीकि रामायण के अनुसार और्व ऋषि का क्रोध रूपी तेज ब्रह्माजी के आशीर्वाद से सागर में सागर जल जलाता हुवा सागर के जल स्तर को शान्त रखता है और कल्पान्त में सागर से बाहर आकर संसार को भस्म करेगा तथा सागर का जल इनके अभाव में विकराल बन जल प्रलय लायेगा और दोनों मिलकर सृष्टि समाप्त कर देगें।
धन्यवाद
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