रामदूत अंजनि सपूत इष्ट देव महावीर।
पवनपूत केसरीसूत हे गुनागार सतवीर।।
बल बुध्दि विद्या धाम कंचन वरन शरीर।
कुल कष्टनिवारक मंगलकारक सुधीर।।
मान दायक धर्मात्मन तू प्रेमाब्ध हनुमान।
रामबल्लभ अभिष्ट दायक देते धनधान।। सतयुग द्वापर त्रेता कलि युगे जन जान।
अरि मर्दन मित वर्धन प्रहार मुष्टि प्रमान।।
हे हित मित जग दुःख भंजन आर्त सखा।
कर कृपा नित नव नव वर वरदान लखा।।
हे बज्र तनु गदा धारी असुरन बल मखा।
मार मार धर धर झट कर घात जो रखा।।
महाबल दशानन दर्पहा कृपाधाम किंकर।
संजीवनी सा जीवन रक्षक कारक दुष्कर।।
हे मेरे अजीज करु पद्म पाद वन्दन सत्वर।
हर हर हार हरदम इस टूवर किंकर कर ।।
रविवार, 1 फ़रवरी 2015
हनुमान वन्दना
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