रविवार, 1 फ़रवरी 2015

अवसर

देता रब सब समान सबको,
अवसर दान मिला हमको।
दिन-रात सुबह-शाम हरको,
तप-ताप जप-जाप जगको।।
देखा ईश रूप जग कन कन,
पवन उनचास चले सनसन।
रवि-चन्द्र कान्ति मिले कनकन,
अकूत अर्जन का साधन तन।।
अनगिनत पर भारी अंग अंग,
श्रम साध्य है यहाँ सब रंग।
सर्वांग कर्म पाये संसार संग,
तंग विचार करे नित नव जंग।।
करते कलरव पाते अनुदान,
कुदरत रत सत गाते गान।
आलस्य छोड़ जीतो जहान,
हर अवसर करे तब गुनगान।।
अवसर चुके डोगरी नाचे ताल बेताल,
बिन अवसर वारिश लावे काल पेकाल।
चीटी चिड़िया चुग्गा चुने न हो बेहाल,
क्षण क्षण कण कण को चुन हो भुवाल।।

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