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दन्त नख केश सा छूटे मूल सब जाय। मणि माणिक मुक्ता सा छूटे मूल सब पाय ।।दुनिया की ही रीत गीत सी जब हो जाय। तब सब स्थान हर का घर हो जाय ।।
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