स्वाभिमानी देशप्रेमी युवा नरेन्द्र नाथ दत्त।
वाकपटु भारतीय नव जागरण के अग्रदूत।
मीनक महान देदीप्यमान शशांक सदृश्य।
विधु सा प्रगटे बन माँ भुवनेश्वरी के सपूत।
वेगवान हिन्दू भारत भाल पे गौरव तिलक।
काम को लजा हर मन से भगाये भय भूत।
आनन आफ़ताब से अमेरिकी चकाचौध।
नयन विशाल देखे सफलआयाम नित नूत।
दया सागर सागर पार लहराये नव परचम।
नर नाहर थे विश्वनाथ जनक के प्रिय पूत।
दर दर दूर देश तक शाश्वत सत्य वाहक।
नाथ नाथ की खोज त्यागे कामना अकूत।
दत्त आनन्द देने को पाने से माने माकूल।
जन मान नव चेतन हित पहने केशर सूत।
मन्त्र कठोपनिषद का बना जीवन आधार।
उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत छूत।
अराइज अवेक एंड स्टाप नाट अन्टिल।
द गोल इज रिचड बोले अंग्रेजी में खूब।
उठो जागो और तब तक ना रुको तुम।
जब तक लक्ष्य ना पकड़ो अपना मजबूत।
रविवार, 11 जनवरी 2015
स्वामी विवेकानंद नरेन्द्र नाथ दत्त
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