होती है सारी बात साथ कब।
पूछो देखो समझो जानो अब।
कैसे किसे कहाँ क्या कहू तब।
रचना अद्भुत कल्याणी सब।।1।।
मात-पिता पोषित पालित हम।
अचर सचर चर सब हम सम।
सादर सत चित आनंद वन्दन।
रचना कण कण केशर चन्दन।।2।।
नहीं हंस नर नीर क्षीर विवेकी।
नहीं नाहर नर नरेन्द्र मामेकी।
तमसावृत हटा हो आलोकित।
रचना सूर तम हार विमोचित ।।3।।
मम सम सब अन्यतम हैजानो।
अनूठा अनुपम हर कृति मानो।
उपयोगी बन उपासीन सबके।
रचना प्रेम रमन रमा रे झटके।।4।।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें