हरि बोले हरि ही सुने, हरि गये हरि के पास।
हरि हरि में कूद गये, हरि हो गए उदास।।
यहाँ लाजबाब ढंग से हरि के अनेक अर्थों द्वारा यमक अलंकार प्रगट किया गया है। पहले हम अर्थ जानते है--
मेढ़क ने बोला साँप ने सुना,साँप मेढ़क के पास गया,मेढ़क तालाब(पानी) में कूद गया,साँप उदास हो गया। यहाँ यह तो स्पष्ट हो ही गया कि हरि के अनेक अर्थ होते अब कितने अर्थ होते है उन सभी को इन दो ही दोहों में जान लेते हैं---
घोड़ा तोता शेर शशि, साँप पानी ईश्वर।
सूर्य इन्द्र गीदड़ मोर,कोयल विष्णु बन्दर।।1।।
अग्नि हंस वायु मेढ़क, हरि हैं सह सारंग।
सर्वदा हरि हरण हरति, रहते जन-जन संग।।2।।
।।। धन्यवाद।।।
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