सोमवार, 21 दिसंबर 2020

|||| माहेश्वर सूत्र ||||

नृत्वावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नव पन्च वारम्. 
उद्धर्तुकामान् सनकादिसिद्धानेतद्विमर्श शिवसॊत्रजालम् 

(1)अ इ उ ण (2)ऋ लृ क् (3)ए ओ ड् (4)ऐ औ च् ll

अच् अर्थात् स्वर वर्ण, इनमे  इनके दीर्घ आ ई ऊ तथा प्लुत ओम भी  आकर  9+4=13स्वर  हो जाते  हैं. 

(5)ह य  व र ट् (6)ल ण (7)ञ म ड. ण न म् (8)झ भ य् (9)घ ढ ध ष (10)ज  ब ग ड द श् (11)ख फ़ छ ठ थ च ट त व् (12)क प य् (13)श ष स र् (14)ह ल्. 

हल् अर्थात् व्यञ्जन वर्ण 33+4अयोगवाह वर्ण =37
13स्वर +33व्यञ्जन +04अयोगवाह =50वर्ण 

इस  सूत्र  को चतुर्दश, प्रत्याहार विधायक, शिव, माहेश्वर, वर्णसमाम्नाय  और अक्षरसमाम्नाय सूत्र.भी  कहते  हैं. इन्हें उपदेश  भी  कहा  जाता है. 

सबसे  पहले स्वर अच्, अन्तस्थ यण , पञ्चम् ञम् , चतुर्थ् झष , तृतीय जश्, द्बितीय फ़िर् प्रथम चय् और  अन्त  में उष्म शल् वर्णों का  विधान  है. 

अट और शल् प्रत्याहार  के  कारण  ह दो  बार  आये हैं. 

अण =अ इ उ ऋ लृ तथा अणु दित्सवर्णस्य  चा प्रत्ययः =अ से ल तक  वर्णो को  शामिल  करने  के  लिए  ण दो  बार  आया  है. 

अष्टाध्यायी में 8अध्याय32पाद और 4000सूत्र हैं. 

व्याकरण  के  आदि  प्रवर्तक  भगवान नटराज हैं. 

अणुदित सवर्णस्य चाप्रत्ययः :-
अविधियमान अण और उदित की सवर्ण संज्ञा होती है वह प्रत्यय. में नही हो तो भी. 
जैसे :-अण और कु चु टु टु  पु  के साथ होता है. 
केवल इसी  हेतु ण दूसरी  बार आया है. 


 

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