रविवार, 27 दिसंबर 2020

।।। दुर्गा मन्दिर तिलौली ।।।

      माताजी की असीम कृपा से तिलौली के लोगों में गाँव के सरोवर पर माताजी के मन्दिर निर्माण का सुन्दर विचार आया, इसके पीछे अनेक तथ्य हो सकते हैं।मेरे विचार से मेरे गाँव के हर वर्ग में माताजी के प्रति अद्भुत निष्ठा रही है।इसका प्रत्यक्ष उदाहरण बबुवा बाबा के दरवाजे पर नवरात्रि के समय रात्रि जागरण के कार्यक्रमों में रहा, जहाँ कार्यक्रम में छोटे-बड़े हर वर्ग-जाति के लोग धूमधाम से भाग लेते रहे ।भाई हमीद जाति के नट तो सभी नाटकों में भाग लिया करते थे।एक नाटक में उनका कथन:- "फूक डालो इन गिरगिट की औलादों को ताकि भोर होते-होते श्मशान हो जाये"आज भी कार्यक्रम की भभ्यता की याद दिलाता है।
      उस समय मेरी उम्र कितनी रही मुझे याद नहीं पर मुझे यह सब याद है कि बबुवा बाबा के दरवाजे पर हर नवरात्रि के दौरान मूर्ति स्थापित  होती रात को अद्भुत कार्यक्रम होते जिसमे आस-पास के सभी गाँवों से लोग 
भाग लेते।
       दशहरा के दिन गाँव के पोखरे पर बहुत विशाल मेले का आयोजन होता जिसमें आस-पास के गाँवों से माताजी की अनेक मूर्तियॉं सुबह से ही आने लगती,हमारे गाँव की भी मूर्ति बड़े ही सम्मान से पोखरे पर विसर्जन हेतु लायी जाती,कीर्तन होता, मेला भरताऔर शाम को सभी मूर्तियों का विसर्जन करने के बाद सभी मस्ती से रवाना होते।
          उन सभी माता प्रेमियों को दिल से शुक्रिया जिन्होंने मन्दिर स्थापना की परिकल्पना कर माघ शुक्ल एकादशी शनिवार फरवरी ग्यारह, उन्नीस सौ पंचानवे को माता मन्दिर की नींव रखी,जिसमें अठारह फरवरी,दो हजार पाँच माघ शुक्ल दशमी शुक्रवार को मूर्ति स्थापित कर मन्दिर में प्राण फूकने का कार्य सम्पन्न किया।
          अब हम सभी का परम दायित्व हो जाता है कि हम समय-समय पर माताजी के मन्दिर पर सम्पन्न होने वाले सभी धार्मिक-सामाजिक कार्यकर्मो के कार्यकर्ता बने,आयोजक बने और बढ़-चढ़ कर भाग ले।
              ।।     जय माता की     ।।

बुधवार, 23 दिसंबर 2020

Abstract Noun

(1)Failure is the pillar of  success. 
     ------                                 ----------
(2)Do not doubt my loyalty.
                               --------
(3)Honesty is the best policy.
      -------                          ----
Abstract Nouns refer to those intangible(अमूर्त) nouns which our 5 senses can not detect.
Feelings, qualities, theories, relationship,ideas & experiences are expressed by abstract noun.
It only exists in mind.
Abstract.  Opposite concrete
We can not see,feel,hear, taste or smell this noun.
Quality.         State.            Action
Height.         Childhood.     Laughter
Depth.           Poverty.           Flights
Wisdom.       Youth.             Division
 Quality बनती adjective से state बनती common noun  से और action हमेशा verb  से. 

Gerunds (ing verb) तथा simple infinitive(to+verb1st) एक प्रकार से abstract noun ही माने जाते हैं।जैसे to serve, serving

जब ये गुण, अवस्था, क्रिया आदि का बोध न कराकर उस व्यक्ति का बोध कराते हैं जिनके अंदर  ये होते हैं तब येcommon noun हो जाते हैं।
जैसे।  justice से  न्यायab   न्यायाधीशco
       Witness से  साक्ष्य ab.  साक्षी co

जब इसका प्रयोग मानवीकरण के रूप में होता है तब यह proper noun हो जाता है।
जैसे He is the favoured(कृपापात्र ) child ऑफ Fourtune.

The names of the Arts & Sciences are also Abstract Nouns.
As:-grammar,music, chemistry etc.


                       Thanks

MATERIAL NOUN

1:-Add some more salt in the dish.
                                  -----
2:-Your silver ring is very nice.
             -------++
3:-He drinks milk daily.
                       ------
What is Material Noun?
 "Substance from which things are made"
विशेष (1):-एक शब्द   कहीं Material तो कही Common Noun की  तरह प्रयुक्त होते  है 
Fish live in water. Common Noun 
Fish is good for food. Material Noun 
इसी  कारण अनेक grammarians  इसे Common Noun के  अन्तर्गत  ही  मानते  हैं. 
सामान्यतः यह uncountable होता है. 
यह liquid, semi-liquid और solide  रुप मे होता है. ठोस, द्रव और  गैस . 
Some example 
Nature:- water, air, silver, gold, iron, sand. 
Animals:-egg, meat, honey, milk, silk, 
Plants:-cotton, wood, coffee, tea, oil, 
Man Made:-acid, brick, cement, ghee
(2) जब  Material Nouns uncountable  होते हैं तब articles  का प्रयोग  नहीं  होता. 
(3)जब ये  countable होगें तब article आ सकते  हैं. Example:-It  is  a very healthy wine. 
(4) इस  प्रकार  से the  और some का  प्रयोग  इनके  साथ  होता हैं 
The  honey   in the bottle is mine. 
I saw there is some milk in the glass. 
(5)वाक्य के शुरु में प्रथम letter capital अन्यथा  हमेशा small में लिखा जाता है. 


                  |||     Thanks     |||

सोमवार, 21 दिसंबर 2020

|||| माहेश्वर सूत्र ||||

नृत्वावसाने नटराजराजो ननाद ढक्कां नव पन्च वारम्. 
उद्धर्तुकामान् सनकादिसिद्धानेतद्विमर्श शिवसॊत्रजालम् 

(1)अ इ उ ण (2)ऋ लृ क् (3)ए ओ ड् (4)ऐ औ च् ll

अच् अर्थात् स्वर वर्ण, इनमे  इनके दीर्घ आ ई ऊ तथा प्लुत ओम भी  आकर  9+4=13स्वर  हो जाते  हैं. 

(5)ह य  व र ट् (6)ल ण (7)ञ म ड. ण न म् (8)झ भ य् (9)घ ढ ध ष (10)ज  ब ग ड द श् (11)ख फ़ छ ठ थ च ट त व् (12)क प य् (13)श ष स र् (14)ह ल्. 

हल् अर्थात् व्यञ्जन वर्ण 33+4अयोगवाह वर्ण =37
13स्वर +33व्यञ्जन +04अयोगवाह =50वर्ण 

इस  सूत्र  को चतुर्दश, प्रत्याहार विधायक, शिव, माहेश्वर, वर्णसमाम्नाय  और अक्षरसमाम्नाय सूत्र.भी  कहते  हैं. इन्हें उपदेश  भी  कहा  जाता है. 

सबसे  पहले स्वर अच्, अन्तस्थ यण , पञ्चम् ञम् , चतुर्थ् झष , तृतीय जश्, द्बितीय फ़िर् प्रथम चय् और  अन्त  में उष्म शल् वर्णों का  विधान  है. 

अट और शल् प्रत्याहार  के  कारण  ह दो  बार  आये हैं. 

अण =अ इ उ ऋ लृ तथा अणु दित्सवर्णस्य  चा प्रत्ययः =अ से ल तक  वर्णो को  शामिल  करने  के  लिए  ण दो  बार  आया  है. 

अष्टाध्यायी में 8अध्याय32पाद और 4000सूत्र हैं. 

व्याकरण  के  आदि  प्रवर्तक  भगवान नटराज हैं. 

अणुदित सवर्णस्य चाप्रत्ययः :-
अविधियमान अण और उदित की सवर्ण संज्ञा होती है वह प्रत्यय. में नही हो तो भी. 
जैसे :-अण और कु चु टु टु  पु  के साथ होता है. 
केवल इसी  हेतु ण दूसरी  बार आया है. 


 

शनिवार, 19 दिसंबर 2020

... वर्णमाला ....

स्वर :-स्वयं राजन्ते  इति स्वराःl
मूल  स्वर :-अ, इ, उ, ऋ, लृ l
संयुक्त स्वर :-अ +इ =ए 
                 अ +ए =ऐ 
                 अ +उ =ओ 
                 अ +ओ =औ 
कुल  स्वर =09 अच् =अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ और औ  हैं l
स्वर भेद :- उकालोSह्रस्व दीर्घ प्लुतः  ll
1:-ह्रस्व :-अ, इ, उ, ऋ  लृ ll
2:-दीर्घ :-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ ll
3:-प्लुत :-ओsम् l
एक मात्रो भवेत् ह्रस्वो  द्विमात्रो दीर्घ उच्यते l
त्रिमात्रस्तु प्लुतो ज्ञेयो व्यञ्जनं चार्ध्मात्रिकम् ll
मात्रा काल :-पलक  झपकने  के  समय  को  एक  मात्रा काल  कहते  हैं l
नोट  :-प्लुत, उच्चैरुदात्तः, निचैरनुदात्तः और  समाहारः स्वरितः इन  चारों  का  प्रयोग  वैदिक  संस्कृत  में  होता  है l
तुल्यास्य प्रयत्नं सवर्णम् :-जिन  वर्णो  के उच्चारण स्थान तालु आदि  और आभ्यान्तर  प्रयत्न  एक  समान  होते  हैं उनकी परस्पर  सवर्ण  संज्ञा  होती  है 
4:-----------व्यञ्जन -----
वर्णों  का चौथा  भेद  व्यञ्जन  होता  है, व्यञ्जनं चार्ध्मात्रिकम्  के  अनुसार  इनकी  मात्रा  आधी  होती  है, अन्वम्  भवति  व्यञ्जनम्  के  अनुसार  बिना  स्वर  की  सहायता  के  इनका  उच्चारण  नहीं  हो  सकता l
               व्यञ्जन  के  भेद  
1:-कादयो मावसनाः स्पर्शाः 
क  से म तक  के  वर्ण स्पर्श वर्ण  कहे  जाते  है l  कवर्ग, चवर्ग,टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग  के  रुप  में  ये  कुल 25 होते हैं l
2:-यणो अन्तस्थाः 
  यण  अर्थात्  य, व, र, ल ये  04  वर्ण  अन्तस्थ वर्ण  होते  हैं l
3:- शल उष्माण:
शल अर्थात् श, ष, स, ह ये  04 वर्ण उष्म  वर्ण  होते  हैंl 4:- संयुक्त या  मिश्रित व्यञ्जन 
       क् +ष +अ =क्ष 
       त् +र् +अ =त्र 
      ज् +ञ +अ =ज्ञ 
      श +र् +अ =श्र 
कोई कोई  ऊपर  के केवल  03 को  ही  मानते  हैं l
5:-आयोगवाह वर्ण 
(1)अनुस्वार जैसे अं (2) विसर्ग जैसे अः को  स्वर का  आयोगवाह तथा (3)जिह्वामूली जैसे क और  ख  नुक्ता  के साथ (4)उपधमानीय जैसे  प ´और फ´ को व्यञ्जन  का  आयोगवाह  वर्ण  माना  गया  है I
     इस प्रकार  स्वर 13 व्यञ्जन 33और आयोगवाह  04 कुल 50 वर्ण संस्कृत  में  माने  गये  हैं ll
   वर्ण  वर्गो के  प्रथम तृतीय पञ्चम्  और य र ल व को अल्प प्राण तथा  द्वितीय चतुर्थ और श  ष  स  ह  को महाप्राण  वर्ण  भी  कहा  जाता  है l 
अघोष वर्ण :- पांचो वर्गो के प्रथम,द्वितीय वर्ण और श ष  स कुल 13
घोष या सघोष वर्ण :-पाचों  वर्गो  के तृतीय चतुर्थ पञ्चम य र ल व ह कुल 20 वर्ण, हिन्दी  में उच्छिप्त या द्बिगुण 02 वर्णो को  मिलाकर  22 होते हैं llअ आ इ ई उ ऊ ऋ  ए ऐ ओ और औ को  भी  सघोष  वर्ण माना गया है l
हिन्दी  में  वर्ण 
11स्वर  अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ऋ ओ औ 
41व्यञ्जन 
स्पर्श 27क,च, ट, त और प वर्ग +ढ.,ड. =27
अन्तस्थ 04य, व, र, ल 
उष्म 04श, ष, स, ह
आगत 02. ज फ़ 
संयुक्त 04 क्ष त्र ज्ञ श्र  
कुल 52वर्ण 

                       ||  इति  ||

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

Collective Noun

A group of people, animals or a collection of things taken as a whole is collective noun.
1:-it is not a noun of multitude 
As
The jury consists of twelve persons.
The jury were divided in their opinions.
2:-people,the gentry, the elite, the police etc are always plural.
3:-Machinery, luggage, furniture, scenery, clothing etc are always singular.
4:-flock, audience, committee, government,bench,fleet etc are like common noun singular & plural.
5:-Microsoft,Sony,Apple,CNN,WHO,, Interpol,the BBC & the United Nations etc are both proper & collective. 
Example:-
Swarm a group of flies.
Pack a group of dogs.
School a group of fish.
 Other
Set,class, team, troop,bevy,flock, herd, piece, bunch, grove, library,album,heap,hive, cartoon, government, mob,mass, family, staff, crew army,gang, colony, band board etc

सोमवार, 14 दिसंबर 2020

proper & common noun

1:-जो पैदा ,निर्मित या उत्पन्न है वो common noun है।जब इनका नामकरण करते है तो नाम proper नाउन है।
2:-proper का first letter capital होगा as:-Ram
3:-एक से अधिक शब्द होने पर प्रत्येक का first  letter capital होगा।
4:-एक ही नाम के कई हो तो the first,the second आदि मुख्य नाम के बाद जुड़ेगाas Queen Elijabeth the first etc
5:-जब proper noun से पद/पदवी/वर्ग का बोध हो तो    common हो जाता हैas Maharaj,Sulthan etc
6:-जब proper noun से व्यक्ति विशेष के स्थान पर उसके समान गुन वालों का बोध हो तो वह common noun हो जाता है as:-Dara Singh was the Bhim of his time
India requires a number of  Jawaharlals
7:-proper noun का first letter common noun के रूप में भी capital ही होता है।
8:-एक ही शब्द कही common noun तो कही material noun के रूप में प्रयुक्त होता है as
Fish live in water। Fish is good for food।
9:-proper और common को देख सकते है स्पर्श कर सकते है अतः इन्हें concrete noun भी कजते हैं।
10:-proper uncountable और common countable है।
11:-common noun is a name given in common to same class or kind.
Proper means one,s own.

सोमवार, 7 दिसंबर 2020

हे लाल देह अंजनी लाल हनुमाना

हे लाल देह अंजनी लाल हनुमाना,
रौद्र रुप राम दूत राखे लखन प्राना ।
रोग-शोक चिन्ता भय भेद भावना,
नाश करें पल में भरें भक्ति भावना।।1।।
वीर बजरंगी बन्धु-बान्धव तात-मात,
कोरोना महामारी पड़े जन-जन गात।
लंकिनी कोरोना पर करें मुष्टिका घात,
सिंहिका जू मारि मानवता बचाओ तात।।2।।

।।। आनन्द-क्रन्दन ।।।

एक कथा जिसमें है जीवन का आनन्द-क्रन्दन।
सुना रहा है आपको जगत तनय मेवाती नन्दन।।
बैठा था महुआ के नीचे तिलौली तालाब तट पर।
मौत मौसम मच्छर मंत्री का चिंतन था सिर पर।।1।।
मौत कही भी बिन बुलाए मेहमान सा घुस जाती।
गिरगिट सा मौसम-मानव की चमक बदल जाती।।
मच्छर सा छली माया निज दंस सार छोड़ जाती।
मंत्री की जिह्वा जन मध्य कुछ का कुछ कर जाती।।2।।
कुछ नहीं मैं तो इन अपने ख़यालों में था तल्लीन।
बचपन की है बात बच्चा-मन था गभ्भीर  गमगीन।।
सोच रहा भूत-भविष्य को हो इनकी साया में लीन।
वर्तमान मेरा जानते तिलौली-तालाब के नर- मीन।।3।।
महुआ जड़-तालाब जल आँख-मिचौनी खेले जहाँ।
मैं मति मंद महुआ जड़ सा जड़ बन कर बैठा वहाँ।। 
अचानक जगत सुत जगत का दुःख-सुख देखा तहाँ।
आनन्द-क्रन्दन मेल ने खेल खेला था जो वहाँ महाँ।।4।।उड़ता कौवा तालाब ऊपर कांव-कांव कर रहा था।
मैंने सोचा पेट हित मछलियों को वो ढूढ़ रहा था।।
पर मेरा चिंतन तो सदा के लिए झूठा हो रहा था।
कौवा आनन्द के क्रन्दन हेतु क्रन्दन कर रहा था।।5।।
एक चिड़िया अण्डे से बाहर आते बच्चे की खुशी में।
आनन्द से झूम रही थी वह वहाँ की निज मस्ती में।।
 काग की दुष्ट दृष्टि दुष्ट दृष्टि सी झूम रही आनन्द में।
देख काग-चिड़ी आनन्द-क्रन्दन देव पेशमपेश में।।6।।
दृश्य अद्भुत आनन्द मय चिड़िया नवजात हेतु था।
सरोवर तट वसन्त का मौसम आनन्द हर ओर था।। 
 हर पेड़-पौधों के किसलय से सतरंगी परिदृश्य था।
प्रकृति के श्रृंगार में डूबा मैं अति आनन्द विभोर था।।7।
कौवे का सर मध्य ऊपर उड़ना बोलना आम ही था।
बगुले सा सूक्ष्म जीव निगलना उसका काम ही था।।
पर आज उसकी नजर अण्डे के चूज्जे पर टिकी थी।
मेरी नजर इन सबसे दूर निज चिंतन में खूब डूबी थी।।8
अचानक कौवा झपटा अड्डे सहित चूज्जे को निगला।
चिड़ी रोई चिल्लाई मुझे जगाई कह बार-बार पगला।।
मेरी दृष्टि कौवे पर पड़ी उठाया छड़ी पीछे-पीछे दौड़ा।
सोच लिया मैंने अब तो मुझे करना है कौवे को चौड़ा।।9
कौवा चतुर-चालक पंछी लाला से रोटी ले भागा था।
लाला से पाला पड़ा कौवे पर लाला भारी ही पड़ा था।।
काँव- काँव कर कौवा कर आयी रोटी गवा चुका था।
कायस्थ कौवे की कहानी कई-कई बार मैं सुना था।।10
जाको राखे साईंया मार सके ना कोय कथा सुना था।
दौड़ा लिया था कौवे को देखा टहनी आड़ में बैठा था।।
जैसे ही चोंच खोल अड्डे को रखा मैं नीचे पहुँचा था।
पत्थर मारा चूज्जा गिरा मैंने हाथों में लोक लिया था।11
हर पल नव आश नव विश्वास हार-जीत दिखा रहा।
मौत के मुँह से चूज्जे सा बचता जीवन सिखा रहा।।
मौसम का करवट मच्छर सा शामिल बाजा बजा रहा।
मंत्री-सन्तरी कहाँ कायर कागा करतब दिखा रहा।।12।
चूज्जे संग मैं हताश आँखे चिड़ी को ढूढ़ रही थी।
क्या करूँ मैं चूज्जे का सोच काया अधीर हो रही थी।।
ओ चिड़ियाँ समूह में आनन्द स्वर साथ आ रही थी।
अरे मुझे धन्यवाद दे बच्चे को ले ओ जा रही थी।।13।।
कौवे का क्रन्दन काँव काँव करना क्या कहता।
आनन्द-क्रन्दन बीच मैं तालाब तट क्या करता।।
कहीं खुशी कहीं गम अद्भुत ढंग से प्रभु भरता।
उस घटना की याद में मेरे आखों से आँसू झरता।।14।।
             ।।धन्यवाद।।