शनिवार, 22 अप्रैल 2023

इन्द्र के पर्यायवाची

    ।।इन्द्र के पर्यायवाची।।
         (4 दोहों में 40)
सुराधिप इन्द्र पुरन्दर,सुनासीर सुरराज।
वृत्रहा वज्री वज्रधर,मरुत्पति मेघराज।।1।।
शतमन्यु शक्र शचीपति,शचीश वृषा सुरेश।
पुरुहुत सुरेश्वर सुरपति,देवराज देवेश।।2।।
मघवा वासव अमरपति, मेघवाहन महेन्द्र।
अमरनाथ हरि नाकपति, देवनाथ सुरेन्द्र।।3।।
पाकरिपु पर्जन्य बेन्धन, आखंडल अमरेश।
सहस्राक्ष से सहसनयन, हि देवपति  देवेन्द्र।।4।।
।।धन्यवाद।।

रविवार, 9 अप्रैल 2023

√।।।अप्सरा।।

 👌।।अप्सरा का पर्याय।।💐
 अप का अर्थ पानी, समुद्र और क्षीर
अर्थात दूध माना गया है और अप्सरा
की उत्पत्ति भी इन्हीं से मानी गयी है 
और कहा भी गया है अदम्य समुद्र 
जलेभ्यः सरंति अप्सराः।इसलिए 
अप्सरा की कल्पना परम सुन्दरी,
जलपरी आदि रूपों में की गयी है।
आइए हम अप्सरा के प्रसिद्ध 24 
पर्यायवाची शब्दों को इन दो
चौपाइयों में देखते हैं------/
देखें अप्सरा के पर्यायवाची
शब्दों को---
सुरबाला   सुरसुन्दरी   परी।
मोहिनी  सुखवनिता सुन्दरी।।
निम्फ     देवबधू    देवनारी।
देवकन्या   हूर      सुरनारी।।1।।
फैरी(fairy) कामिनी देवांगना।
फे (fay) देवबाला दिव्यांगना।।
भानमती     अप्सरा    सुरबधू।
पिक्सी (pixy) अरुणप्रिया 
स्वर्गबधू।।2।।
              ।।।धन्यवाद।।

शनिवार, 8 अप्रैल 2023

√।।आसमान से दूध दूहने की चाहत रखने वाले।।

         ।।मानस चर्चा।।
#आसमानको दूह कर दूध चाहने वाले कौन-कौन#
  हम मानस चर्चा में आसमान से दूध दूहने वालों को  जानते हैं ---रामचरितमानस की इन पंक्तियों के आधार पर --- हाँ अगर आपने अभी तक चैंनल को सब्सक्राइब नहीं किया है तो प्रभु श्रीराम कृपा से  मानस के माध्यम से सरल ढंग से ऐसी ज्ञान वर्धक बातों को जानने के लिए  चैंनल को सब्सक्राइब कर ले -- आइए हम जानते हैं आसमान से दूध दूहने की चाहत रखने वाले लोगों को - मानस की पंक्तियों से पहले हम हितोपदेश को सुनते और समझते हैं-
सेवैव मानमखिलं ज्योत्सनेव तमो जरेव लावण्यं,
हरिहरकथेव दुरितं      गुणशतं अभ्यर्थिता हरति।।
 सेवा मान को ,ज्योत्सना- चाँदनी अन्धकार को, बुढ़ापा सुन्दरता को,  हरिहरकथा-भगवान विष्णु व भगवान शंकर की कथा पाप को और अभ्यर्थिता अर्थात माँगना- याचना सैकड़ों गुणों को हर लेती हैं।
पर आसमान से दूध दूहने की चाहत रखने वाले लोगों को जानने के लिए हमें इन पंक्तियों के साथ ही साथ मानस की पंक्तियों को अपने मन-मानस में उतारना होगा जो हमारे सामने हैं-
 सेवक सुख चह मान भिखारी। 
सेवक अर्थात नौकर  सुख की चाहत रखे,भिखारी सम्मान-प्रतिष्ठा की।
 ब्यसनी धन सुभ गति बिभिचारी॥
व्यसनी अर्थात बुरी लत वाला-जुआ खेलने वाला धन की चाहत रखे, व्यविचारी-परत्रियगामी सद्गति की।
लोभी जसु चह चार गुमानी। 
लोभी-लालची यश-कीर्ति की चाहत रखे,चार अर्थात दूत गुमान-स्वाभिमान की।
नभ दुहि दूध चहत ए प्रानी॥
तो समझ ले कि ये छः लोग सेवक,भिखारी,व्यसनी,व्यविचारी,लोभी और दूत आसमान को दूह कर दूध निकालने की चाहत रख रहे हैं।
सेवक सुख चह मान भिखारी।
ब्यसनी धन सुभ गति बिभिचारी॥
लोभी जसु चह चार गुमानी।
नभ दुहि दूध चहत ए प्रानी॥
आशा है मानस चर्चा का यह बिन्दु आपको ज्ञान-सिन्धु
में डुबकी लगाने का अवसर अवश्य दिया है। धन्यवाद
        ।। जय श्री राम जय हनुमान।।

बुधवार, 5 अप्रैल 2023

हनुमान जन्म महोत्सव

हे लाल देह अंजनी लाल राम भक्त  हनुमान।
शिव स्वरूप राम दूत केसरी सुत बलधाम।। 
रोग-शोक भय मुक्त हो जो जपे आपका नाम। 
जन्म महोत्सव आपका शुभ हो भारत धाम।।
    ।।जय जय जय हनुमान जय श्री राम।।

रविवार, 19 मार्च 2023

।।तुच्छ के पर्यायवाची।।

          ।।तुच्छ के पर्यायवाची।।
  (तीन दोहों में तैतीस पर्यायवाची शब्द)  
दो कौड़ी का निकम्मा,दुष्ट क्षुद्र सारहीन।
घृणास्पद नाचीज नीच, ओछा महत्त्वहीन।।
खोखला थोड़ा नगण्य, अधम हेय निःसार।
संकीर्ण घटिया अल्प, बेकार खाकसार।।
अल्पमूल्य टुच्चा हीन, हेठा अदना तुच्छ।
तृणवत त्याज्य बेकदर, छोटा जाली पोच।।
              ।।धन्यवाद।।

✓।।घोसला(nest)के पर्यायवाची।।

    ।।घोसला(nest)के पर्यायवाची।।
{एक ही दोहे में ग्यारह पर्यायवाची शब्द}
आशियाँ बसेरा नीड़, आशियाना द्विजालय।
झोंझ आलना अंकुरक, खोता पोटे निलय।।
              ।।धन्यवाद।।

मंगलवार, 7 मार्च 2023

मानस -चर्चा"आपत्ति के समय किनकी पहचान होती है"

    मानस-चर्चा"आपत्ति के समय किनकी पहचान होती है" 
जय श्री राम मानस चर्चा में आपका हृदय से स्वागत है,हमारे जीवन में कभी न कभी दुःख, परेशानी,विपत्ति, किसी न किसी प्रकार की आपदा न चाहते हुवे भी आ ही जाते हैं ऐसे दुखद समय में किनकी पहचान होती है और  वास्तव ऐसे समय में वह कौन एक है जो सबसे अधिक सहायक,विश्वसनीय और सब प्रकार से आपका है अपना है--- इस कठिन विषय को मानस की पंक्तियों के आधार पर  हम समझते है--हाँ यदि आपने अब तक चैनेल सब्सक्राइब नहीं किया है तो अपना प्रेम-प्रसाद देते हुवे चैनल सब्सक्राइब अवश्य कर लेवें -आइये हम मानस की पंक्तियों से पहले इस श्लोक को देखते हैं-- 

आपत्सु मित्रं जानीयाद् युद्धे शूरं धने शुचिम् ।

भार्या क्षीणेषु वित्तेषु, संकटेषु च बान्धवान् ।।

आपत्तिकाल में मित्र की, युद्ध काल में वीर की,धन लेन-देन में सत्यता की, निर्धन अवस्था में पत्नी की एवं संकटकाल में बान्धवों की परीक्षा होती है।

अब मानस का विचार आपके सामने-- 

धीरज धर्म मित्र अरु नारी।

आपद काल परिखिअहिं चारी॥

सामान्य अर्थ-धैर्य धर्म मित्र और नारी इन चारों की परीक्षा आपद काल में होती है।लेकिन क्या इतनी सी बात---बिल्कुल नहीं  यहाँ धैर्य बहादुरों के लिए धर्म धार्मिको के लिए मित्र व्यापार करने वालों के लिए और नारी सभी के लिए महत्वपूर्ण है।अरु नारी आपद काल में ही नहीं धर्म अर्थ काम और मोक्ष इन चारी -इन चारों की प्राप्ति में और बड़े से बड़े आपत्ति काल आने पर भी आपका सहयोग करती रहती है तभी तो गोस्वामीजी ने धीरज धर्म मित्र और आपद काल की समस्याओं को हल करने में नारी को सर्वश्रेष्ठ माना है-क्योंकि  इतनी सामान्य बात माँ अनुसुइया क्यों कहेगी और  माँ सीता को उपदेश देगी जबकि  यहाँ दोनों दिव्य नारियाँ हैं परम सती भी हैं ।हाँ पहले आयी आपद काल के कारण माँ सीता के साथ जो चल रहा है वह अब सामान्य सा प्रतीत हो रहा है लेकिन माँ अनुसुइया को भविष्य का पूर्ण ज्ञान है और माताजी जानती है कि निकट भविष्य बहुत बड़ी बिपत्ति माँ  सीता के  जीवन में आने वाली है और जहाँ आपत्ति के समय बड़े-बड़े धीर भी अधीर होने लगते हैं वहाँ एक पत्नी ही है जो अपने पति को आपत्सु मित्रं जानीयाद् आपत्ति में तो मित्र बनकर बल बनती है। स्पष्ट है--Calamity is the touchstone of a brave mind.अब brave mind किसका जबकि राम जैसे धीर-वीर,सर्वज्ञ की भी बुद्धि मलिन होने वाली है--

असम्भवं हेममृगस्य जन्मः 

तथापि रामो लुलुभे मृगाय ।

प्रायः समापन्न विपत्तिकाले 

धियोSपि पुंसां मलिनी भवन्ति।

अब बात एकदम स्पष्ट है कि यदि पुरूषों की बुद्धि मलिन हो जाय और परिणाम स्वरूप  अनहोनी हो जाय तो भी यदि  नारी धैर्य रखने वाली ,धर्म का पालन करने वाली और  मित्रवत व्यवहार करने वाली है तो ऐसे आपद कालीन समय की परीक्षा को भी चतुराई से उत्तीर्ण किया जा सकता है।कहा भी गया है

न च भार्या समं किंचिद_विद्यते भिषजां मतम_।

औषधं सर्व दुःखेषु सत्यमेतद_  ब्रवीमिते।।

निःसन्देह  आपत्ति के समय  पत्नी की ही पहचान होती है और उसके समान पति का हितैषी  दूसरा कोई है ही नहीं। जय श्रीराम जय हनुमान।

             ।। धन्यवाद।।