सोमवार, 28 जून 2021

प्रतिबिम्ब

*((((प्रतिबिम्ब))))*

         *एक व्यक्ति ने अपने गुरु से पूछा?मेरे कर्मचारी,मेरी पत्नी,मेरे बच्चे और सभी लोग मतलबी हैं।कोई भी सही नहीं हैं क्या करूं ?*
*गुरु थोडा मुस्कुराये और उसे एक कहानी सुनाई।*
*एक गाँव में एक विशेष कमरा था जिसमे 1000 शीशे लगे थे।एक छोटी लड़की उस कमरे में गई और खेलने लगी।उसने देखा 1000 बच्चे उसके साथ खेल रहे हैं और वो उन प्रतिबिम्ब बच्चो के साथ खुश रहने लगी।जैसे ही वो अपने हाथ से ताली बजाती सभी बच्चे उसके साथ ताली बजाते।उसने सोचा यह दुनिया की सबसे अच्छी जगह है और यहां बार बार आना चाहेगी।*
*थोड़ी देर बाद इसी जगह पर एक उदास आदमी कहीं से आया।उसने अपने चारो तरफ हजारों दु:ख से भरे चेहरे देखे।वह बहुत दु:खी हुआ।उसने हाथ उठा कर सभी को धक्का लगाकर हटाना चाहा तो उसने देखा हजारों हाथ उसे धक्का मार रहे है।उसने कहा यह दुनिया की सबसे खराब जगह है वह यहां दोबारा कभी नहीं आएगा और उसने वो जगह छोड़ दी।*
*इसी तरह यह दुनिया एक कमरा है जिसमें हजारों शीशे लगे है।जो कुछ भी हमारे अंदर भरा होता है वो ही प्रकृति हमें लौटा देती है।अपने मन और दिल को साफ़ रखें तब यह दुनिया आपके लिए स्वर्ग की तरह ही है।
   
        🌷🌷जय गुरु देव🌷🌷

✓।।यथासंख्य अलंकार।।

             यथासंख्य अलंकार
परिभाषा:-भिन्न धर्म वाले अनेक निर्दिष्ट अर्थों का अनुनिर्देश यथासंख्य अलंकार कहलाता है। यथासंख्य का अर्थ हैं संख्या(क्रम) के अनुसार। इसमें एक क्रम से कुछ पदार्थ पहले कहे जाते हैं, फिर उसी क्रम से दूसरे पदार्थों से अन्वय किया जाता है।यह वाक्य न्यायमूलक अलंकार है।
उदाहरण:-
1.नीचे जल था ऊपर हिम था,
एक तरल था एक सघन।।
2.मनि मानिक मुकुता छबि जैसी। 
  अहि गिरि गज सिर सोह न तैसी॥
3.जाके बल  बिरंचि  हरि ईसा।
    पालत सृजत हरत दससीसा।।
4.सचिव बैद्य गुरु तीनि जौ प्रिय बोलहि भय आस।
  राज  धर्म  तन  तीनि  कर  होइ  बेगही  नास।।
एक अद्भुत उदाहरण
5.बंदौ नाम राम रघुबर को।
   हेतु कृसानु भानु हिमकर को।।
यहाँ राम  के तीन वर्ण र,अ और म क्रमशः कृसानु, भानु,और हिमकर  के हेतु  अद्भुत ढंग से यथासंख्य अलंकार  के माध्यम बताये गये हैं।

                 ।। धन्यवाद  ।।

।।अनुमान अलंकार।।

              अनुमान अलंकार
परिभाषा:-प्रत्यक्ष के आधार पर अप्रत्यक्ष की कल्पना या अनुमान करना ही अनुमान अलंकार 
होता  है,यह एक तर्क न्यायमूलक अलंकार है।
उदाहरण:-
1.चलत मार अस हृदय बिचारा।
    सिव बिरोध ध्रुव मरन हमारा।।
2.छुवत सिला भइ नारि सुहाई।
   पाहन ते न   काठ   कठिनाई।।
   तरनिउ मुनि घरनी होइ जाई।
    बाट  परे  मोरि  नाव  उड़ाई।।
          ।।   धन्यवाद  ।।

।।काव्यलिंग अलंकार।।

काव्यलिंग अलंकार:-

किसी युक्ति से समर्थित की गयी बात को 'काव्यलिंग अलंकार' कहते है। यहाँ किसी बात के समर्थन में कोई-न कोई युक्ति या कारण अवश्य दिया जाता है।यह एक तर्क न्यायमूलक अलंकार है।बिना ऐसा किये वाक्य की बातें अधूरी रह जायेंगी।

उदाहरण:-

कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय।
उहि खाए बौरात नर, इहि पाए बौराय।
धतूरा खाने से नशा होता है, पर सुवर्ण पाने से ही नशा होता है।
यह एक अजीब बात है।
यहाँ इसी बात का समर्थन किया गया है कि सुवर्ण में धतूरे से अधिक मादकता है।
दोहे के उत्तरार्द्ध में इस कथन की युक्ति पुष्टि हुई है। धतूरा खाने से नशा चढ़ता है, किन्तु सुवर्ण पाने से ही मद की वृद्धि होती है, यह कारण देकर पूर्वार्द्ध की समर्थनीय बात की पुष्टि की गयी है।

उदाहरण:-

2.स्याम गौर किमि कहौ बखानी।

  गिरा अनयन नयन बिनु बानी।।

3.सिय सोभा नहि जाइ बखानी।

जगदम्बिका रूप गुन खानी।।

4.प्रभु ताते उर हतै न तेही।

एहि के हृदय बसति बैदेही।।

     ।।       धन्यवाद        ।।


।।विषम अलंकार।।

               विषम अलंकार
परिभाषा:-जहाँ कार्य और कारण से सम्बद्ध गुणों अथवा क्रियाओं का परस्पर विरोध उत्पन्न हो वहाँ  विषम अलंकार होता है।
उदाहरण:-
1.कस कीन्ह बरू बौराह *बिधि* जेहिं तुम्हहि सुंदरता दई?।
जो फलु चहिअ सुरतरूहि सो बरबस बबूरहिं लागई।।
2.कोउ कह संकर चाप कठोरा।
   ये स्यामल मृदु गात किसोरा।।
          ।।   धन्यवाद   ।।

रविवार, 27 जून 2021

।। असंगति अलंकार ।।

           ।। असंगति अलंकार  ।।
परिभाषा :- 
जहाँ कारण कहीं और कार्य कहीं होने का वर्णन किया जाय वहाँ 'असंगति' अलंकार होता है।
 कार्यकारणयोर्भित्रदेशतायामसंगति
 साहित्यदर्पण आचार्य विश्वनाथ
'असंगति' का अर्थ होता है- नहीं संगति।
जहाँ कारण होता है, कार्य वहीं होना चाहिए।
चोट पाँव में लगे, तो दर्द वहीं होना चाहिए।
कारण कहीं, कार्य कहीं; चोट पाँव में लगे और दर्द सर में हो, तो यह असंगति हुई।
उदाहरण :-
1. तुमने पैरों में लगाई मेंहदी मेरी आँखों में समाई मेंहदी।
-अज्ञात मेंहदी लगाने का काम पाँव में हुआ, किंतु उसका परिणाम आँखों में दृष्टिगत हो रहा है।
इसलिए यहाँ 'असंगति' अलंकार है।
उदाहरण:-
2 . मनि मानिक मुकुता छबि जैसी।
     अहि गिरि गज सिर सोह न तैसी॥
     नृप किरीट तरुनी तनु पाई। 
     लहहिं सकल सोभा अधिकाई।।
     तैसेहिं सुकबि कबित बुध कहहीं।
    उपजहिं अनत अनत छबि लहहीं॥
3.सुखस्वरूप रघुबंसमनि मंगल मोद निधान।
ते सोवत कुस डासि महि बिधि गति अति बलवान॥
4.राजु देन कहुँ सुभ दिन साधा। 
  कहेउ जान बन केहिं अपराधा॥
         ।।  धन्यवाद  ।।

।।अल्प अलंकार।।

           ।।   अल्प अलंकार  ।।
परिभाषा:-बृहद आधार को अल्प बताया जाना ही   अल्प अलंकार  होता है।
उदाहरण:-
गूलरि फल समान तव लंका
 बसहु मध्य तुम्ह जंतु असंका॥ ..
तेरी लंका गूलर के फल के समान है। तुम सब कीड़े उसके भीतर (अज्ञानवश) निडर होकर बस रहे हो।
 देखें कैसे लंका और रावण को अल्प बताया गया है।
           ।।धन्यवाद।।