प्रेमी सज्जन दो मिले, खिल गे सात करोड़।।
यहाँ हमें एकदम से तो कुछ समझ नहीं आता,पर जब इसका खुलासा किया जाय तब मज़ा आ जाएगा। 'चार मिले’- मतलब जब भी कोई दो सगे, सम्बन्धी, स्नेही, प्रेमी,मित्र आदि मिलते हैं तो वे एक-दूसरे को देखते हैं जिसके कारण सबसे पहले आपस में दोनों की आँखें मिलती हैं, इसलिए कहा, ‘चार मिले’, फिर कहा, ‘चौंसठ खिले’- यानी, दोनों के बत्तीस-बत्तीस दाँत, कुल मिलाकर चौंसठ हो गए और दोनों के चेहरों पर मुस्कान आ गई, इस तरह ‘चार मिले, चौंसठ खिले हुआ’। अब आगे है ‘बीस रहे कर जोड़’- दोनों हाथों की दस उंगलियां, दोनों व्यक्तियों की बीस हुईं, बीसों मिलकर ही एक-दूसरे को प्रणाम की मुद्रा में हाथ उठते हैं। ‘प्रेमी सज्जन दो मिले’- जब दो सगे, सम्बन्धी, स्नेही, प्रेमी,मित्र,आत्मीय लोग मिले अर्थात प्रेमी सज्जन दो मिले तब'खिल गए सात करोड़’ ऐसी मान्यता है कि एक व्यक्ति के रोम साढ़े तीन करोड़ या अधिक ही होते है तो दोनों के हुए सात करोड़ जो आनंदित हो जाते हैं,जब हमारा कोई प्रिय व्यक्ति हमसे मिलता है तो हमारे रोम-रोम खिल जाते हैं खिलना ही चाहिए हमें आनंदित होना ही चाहिए और हमें ऐसा ही व्यवहार करना चाहिए,इस प्रकार मानवता की सिख देता यह रहस्यमय दोहा:-
चार मिले चौंसठ खिले, बीस रहे कर जोड़।
प्रेमी सज्जन दो मिले, खिल गे सात करोड़।। हर इन्सान के उपयोगी और महत्वपूर्ण हैं।
।।धन्यवाद।।
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