मंगल जात सन दो हजार तेरह है रहा !
सद मंगल सब तरफ मंगल दे है कहा !!
बुध सद्बुध्दि दे दो हजार चौदह महा !
आवत जात सद्बुध्दि मंगला हो अहा !!१!!
नव वर्ष नित नूतन किसलय झहरे जीवन में !
ज्ञान मान नव तुलसी दल लहरे त्रिभुवन में !!
मंगल मूल फूल फल प्रतिपल विकसे तन में !
सत्य कर्म निष्ठा दधि दुर्बा गुण सिहरे रग में !!२!!
नव उज्ज्वल जल धार सा सबका हो मन !
नव गति नव लय नव नव भाव भरे हो तन !!
काम क्रोध लोभ मोह मद से विरत हो जन !
स्व सा सबका भाव हो भारत के कन -कन !!
सद मंगल सब तरफ मंगल दे है कहा !!
बुध सद्बुध्दि दे दो हजार चौदह महा !
आवत जात सद्बुध्दि मंगला हो अहा !!१!!
नव वर्ष नित नूतन किसलय झहरे जीवन में !
ज्ञान मान नव तुलसी दल लहरे त्रिभुवन में !!
मंगल मूल फूल फल प्रतिपल विकसे तन में !
सत्य कर्म निष्ठा दधि दुर्बा गुण सिहरे रग में !!२!!
नव उज्ज्वल जल धार सा सबका हो मन !
नव गति नव लय नव नव भाव भरे हो तन !!
काम क्रोध लोभ मोह मद से विरत हो जन !
स्व सा सबका भाव हो भारत के कन -कन !!