काम कठिन आसान करैं सोमेश।।
आज धरा पर आ तो जाये विश्वेश।
देखें सुनें कहें गति सबकी सर्वेश।।1।।
हम जो देख रहे हैं वो कह रहें हैं।
भगवान सबकी सब समझ रहें हैं।।
आदत बढ़ा आदी बनाये जा रहें हैं।
प्रकाश दबा तमस बढ़ाये जा रहें हैं।।2।।
एक से एक ज्ञान पिलाये जा रहें हैं।
खर सूकर गीदड़ सिखाये जा रहें हैं।।
करि केहरि नर कर काटे जा रहें हैं।
निर्भय हो बहु भय फैलाये जा रहें हैं।।3।।
सुन्दर सरस सलोने सपन सवरै सदा।
सर सरोज सर हुलसै कर नव अदा।।
भय दूजा हेतु निज हेतु है सावन सदा।
बरबस लेखनी लिख रही यदा कदा।।4।।
लोक तन्त्र है राज तन्त्र का महामन्त्र।
अपनी अपनी राह चलें सब स्वतन्त्र।।
जो सहे सहे बहे बहे हो कर परतन्त्र।
करना हो तो करो हो तुम भी स्वतन्त्र।।5।।
सु न्दर सृ जन ।
जवाब देंहटाएं