रचना रचयिता की सब,सबके लिए!रचना=सृष्टी ,काव्य !रचयिता =ईश्वर ,काव्यकार !
सम भाव भूषित भू भवन के लिए !
कमल सा सभीको खिलने के लिए !
जग वट घर है जू हर विहग के लिए!!१!!
यूं तो मानते अद्भुत वट पत्ता पत्ता !
खेल खिलाये अद्भुत सबको है सत्ता !
प्याज सा रुलाये छेड़ते ही हर छत्ता !
नाच नचाये साच दिखाए ले लत्ता !!२!!
बट अन्यन यूनियन बनाना सिखाती !but,onion,union!
सघे शक्ति कलियुगे का पाठ पदाती !
आम को तरसाती ख़ास को हरषाती !
रचना अपनी हर हर को बात बताती !!३!!हर=प्रत्येक,ईश्वर !
पतझड़ हटा जीवन में ऋतुराज लाती !
पावन सलिला सा सब सुख भर जाती !
आते जाते मन मंदिर पावन कर जाती !
बरसा बन जीवन में हरियाली फैलाती !!४!!
सम भाव भूषित भू भवन के लिए !
कमल सा सभीको खिलने के लिए !
जग वट घर है जू हर विहग के लिए!!१!!
यूं तो मानते अद्भुत वट पत्ता पत्ता !
खेल खिलाये अद्भुत सबको है सत्ता !
प्याज सा रुलाये छेड़ते ही हर छत्ता !
नाच नचाये साच दिखाए ले लत्ता !!२!!
बट अन्यन यूनियन बनाना सिखाती !but,onion,union!
सघे शक्ति कलियुगे का पाठ पदाती !
आम को तरसाती ख़ास को हरषाती !
रचना अपनी हर हर को बात बताती !!३!!हर=प्रत्येक,ईश्वर !
पतझड़ हटा जीवन में ऋतुराज लाती !
पावन सलिला सा सब सुख भर जाती !
आते जाते मन मंदिर पावन कर जाती !
बरसा बन जीवन में हरियाली फैलाती !!४!!
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