राम श्याम सब दायक नाम ,सनातन धर्म के हैं ये शान !
सीता राधा मिटाये बाधा , हैं आदर्श सीताराम राधेश्याम !!
आशा पिपाशा विपाशा ताशा,खेले खेल खल फिर भी नाम !
चार नाम रस चारो धाम ,जपते ही मिलता है मुक्ति धाम !!१!!
सीताराम राधेश्याम वर्नाभिधान ,हैं जग पूजनीय नाम !
सत सत प्राभिधान जग के ,इनके वर्णों में आते काम !!
छोटा बड़ा नहीं हम कहते ,ये आशा आते आशा काम !
निराशा दुराशा गम भाग भगे,जो शरण इन दो के नाम!!२!!
प्रकृति नटी नित नाच नाचती,नचाती पल पल जन जन को !
वेश बदल छिन छिन छलती,छली छलाती चलाती जग को !!
प्रकृति अनंत में जो रमें, वह आशा तुच्छ समझे रमणी को !
जगह कहा द्रुम बाल जाल सा, जहा उलझाए निज लोचन को !!३!!
किमि कुवेश करि सके, जो रहते रत सत सदा जपते हरि नाम!
कालनेमि सा सुवेश, कवनो युग मा आवे कदो न काम !!
रावन राहू संत देव बन, न लावो कदों हरि को अपने बाम !
पियो कालकूट कैलासपति, कमलाकर आशा आशा राम !!४!!
सीता राधा मिटाये बाधा , हैं आदर्श सीताराम राधेश्याम !!
आशा पिपाशा विपाशा ताशा,खेले खेल खल फिर भी नाम !
चार नाम रस चारो धाम ,जपते ही मिलता है मुक्ति धाम !!१!!
सीताराम राधेश्याम वर्नाभिधान ,हैं जग पूजनीय नाम !
सत सत प्राभिधान जग के ,इनके वर्णों में आते काम !!
छोटा बड़ा नहीं हम कहते ,ये आशा आते आशा काम !
निराशा दुराशा गम भाग भगे,जो शरण इन दो के नाम!!२!!
प्रकृति नटी नित नाच नाचती,नचाती पल पल जन जन को !
वेश बदल छिन छिन छलती,छली छलाती चलाती जग को !!
प्रकृति अनंत में जो रमें, वह आशा तुच्छ समझे रमणी को !
जगह कहा द्रुम बाल जाल सा, जहा उलझाए निज लोचन को !!३!!
किमि कुवेश करि सके, जो रहते रत सत सदा जपते हरि नाम!
कालनेमि सा सुवेश, कवनो युग मा आवे कदो न काम !!
रावन राहू संत देव बन, न लावो कदों हरि को अपने बाम !
पियो कालकूट कैलासपति, कमलाकर आशा आशा राम !!४!!
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