कर देख लिया सारा जतन ,होना निश्चित है जग पतन !
ऐसा नहीं पतन नहीं मरन ,मरन है श्रेष्ट नहीं है पतन !!१!!
जब तक श्वास तब तक आस,शरीर शरीरी में श्वास वास !
अंतिम श्वास प्राण निकास ,प्राण पखेरू उड़ते शरीर विनास !!२!!
ध्रुव सत्य गिनती श्वासों की ,शोषक शोषण करे विश्वासों की !
समय कथा कहता कालो की ,कंचन कीर्ति कामिनी वालो की !!३!!
राजा रंक फ़कीर योगी संत, सत्य श्वास ही है सबका कंत !
कर्त्तव्यबोध बनाता महंत,शरीर शांत पर नहीं इसका अंत !!४!!
सुविचार कुविचार फलते हैं,इनको ही राम रावन कहते हैं !
कृष्ण कंस बन ये पलते है,शरीरी बाद विचार ही रहते हैं !!५!!
हर शरीर में हैं राम रावन ,कब कृष्ण कब कंस हो मनभावन !
रावन कंस दुःख दवानन ,राम कृष्ण हैं सुख शान्ति सावन !!६!
सबका समय थामे श्वास डोर,माने न माने तुम साहू या चोर !
सदकर्म कुकर्म रह धरा मचाते शोर,मत कुकर्म श्वासों को बोर !!७!!
ऐसा नहीं पतन नहीं मरन ,मरन है श्रेष्ट नहीं है पतन !!१!!
जब तक श्वास तब तक आस,शरीर शरीरी में श्वास वास !
अंतिम श्वास प्राण निकास ,प्राण पखेरू उड़ते शरीर विनास !!२!!
ध्रुव सत्य गिनती श्वासों की ,शोषक शोषण करे विश्वासों की !
समय कथा कहता कालो की ,कंचन कीर्ति कामिनी वालो की !!३!!
राजा रंक फ़कीर योगी संत, सत्य श्वास ही है सबका कंत !
कर्त्तव्यबोध बनाता महंत,शरीर शांत पर नहीं इसका अंत !!४!!
सुविचार कुविचार फलते हैं,इनको ही राम रावन कहते हैं !
कृष्ण कंस बन ये पलते है,शरीरी बाद विचार ही रहते हैं !!५!!
हर शरीर में हैं राम रावन ,कब कृष्ण कब कंस हो मनभावन !
रावन कंस दुःख दवानन ,राम कृष्ण हैं सुख शान्ति सावन !!६!
सबका समय थामे श्वास डोर,माने न माने तुम साहू या चोर !
सदकर्म कुकर्म रह धरा मचाते शोर,मत कुकर्म श्वासों को बोर !!७!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें