जय जय जय वर दायक गन नायक,मंगल दायक शुभ शोभित सुन्दर बदन!
गिरिजा सुवन गण बन्दन गज बदन,विघ्न हारक सुखकारक त्रिपुरारी नन्दन!!
जन रक्षक जय,जय हे मंगल करन,सदा विपत्ति विनाशाक जय हे गज करन!
मोदक जो चढावे सब सुख पावे तुरत, जय जय जय हे गनेश असरन सरन!!१!!
विद्या दाता ज्ञान विधाता भक्तो के दुखहर्ता,सुख सम्पति नाना विधि दाता हे स्कन्ध के भ्राता!
हेरम्ब मद मोद सार सब संकट हर्ता,मातु पिता के दुलारे हो तू तू भक्तन के त्राता!!
सेवत ही सुजन की कामना पूरन कर्ता,अष्टसिद्धि नवनिधि स्वामी तू तू धन के दाता!
मातु पिता भ्रातागण सब नित मोद भर्ता,रचना हो मंगलकारी हे रिद्धि सिद्धि के दाता!!२!
विनती सुनो हमारी हे त्रिपुरारी नन्दन,लोक सुवासित रचना हो जन मन रंजन!
नित नवीन नूतन नव आकृति बन्दन, शब्दार्थ रस भरो छन्द जैसे आखो में अंजन!!
मंगल रचना करे नित जगत नन्दन,दो शक्ति सदा इस जन को हे दुख विभंजन!
आतुर भय से जो जन करे सदा क्रन्दन,दूर करो सबका भय हे भव भय भंजन!!३!!
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