शनिवार, 19 दिसंबर 2020

... वर्णमाला ....

स्वर :-स्वयं राजन्ते  इति स्वराःl
मूल  स्वर :-अ, इ, उ, ऋ, लृ l
संयुक्त स्वर :-अ +इ =ए 
                 अ +ए =ऐ 
                 अ +उ =ओ 
                 अ +ओ =औ 
कुल  स्वर =09 अच् =अ, इ, उ, ऋ, लृ, ए, ओ, ऐ और औ  हैं l
स्वर भेद :- उकालोSह्रस्व दीर्घ प्लुतः  ll
1:-ह्रस्व :-अ, इ, उ, ऋ  लृ ll
2:-दीर्घ :-आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ ll
3:-प्लुत :-ओsम् l
एक मात्रो भवेत् ह्रस्वो  द्विमात्रो दीर्घ उच्यते l
त्रिमात्रस्तु प्लुतो ज्ञेयो व्यञ्जनं चार्ध्मात्रिकम् ll
मात्रा काल :-पलक  झपकने  के  समय  को  एक  मात्रा काल  कहते  हैं l
नोट  :-प्लुत, उच्चैरुदात्तः, निचैरनुदात्तः और  समाहारः स्वरितः इन  चारों  का  प्रयोग  वैदिक  संस्कृत  में  होता  है l
तुल्यास्य प्रयत्नं सवर्णम् :-जिन  वर्णो  के उच्चारण स्थान तालु आदि  और आभ्यान्तर  प्रयत्न  एक  समान  होते  हैं उनकी परस्पर  सवर्ण  संज्ञा  होती  है 
4:-----------व्यञ्जन -----
वर्णों  का चौथा  भेद  व्यञ्जन  होता  है, व्यञ्जनं चार्ध्मात्रिकम्  के  अनुसार  इनकी  मात्रा  आधी  होती  है, अन्वम्  भवति  व्यञ्जनम्  के  अनुसार  बिना  स्वर  की  सहायता  के  इनका  उच्चारण  नहीं  हो  सकता l
               व्यञ्जन  के  भेद  
1:-कादयो मावसनाः स्पर्शाः 
क  से म तक  के  वर्ण स्पर्श वर्ण  कहे  जाते  है l  कवर्ग, चवर्ग,टवर्ग, तवर्ग, पवर्ग  के  रुप  में  ये  कुल 25 होते हैं l
2:-यणो अन्तस्थाः 
  यण  अर्थात्  य, व, र, ल ये  04  वर्ण  अन्तस्थ वर्ण  होते  हैं l
3:- शल उष्माण:
शल अर्थात् श, ष, स, ह ये  04 वर्ण उष्म  वर्ण  होते  हैंl 4:- संयुक्त या  मिश्रित व्यञ्जन 
       क् +ष +अ =क्ष 
       त् +र् +अ =त्र 
      ज् +ञ +अ =ज्ञ 
      श +र् +अ =श्र 
कोई कोई  ऊपर  के केवल  03 को  ही  मानते  हैं l
5:-आयोगवाह वर्ण 
(1)अनुस्वार जैसे अं (2) विसर्ग जैसे अः को  स्वर का  आयोगवाह तथा (3)जिह्वामूली जैसे क और  ख  नुक्ता  के साथ (4)उपधमानीय जैसे  प ´और फ´ को व्यञ्जन  का  आयोगवाह  वर्ण  माना  गया  है I
     इस प्रकार  स्वर 13 व्यञ्जन 33और आयोगवाह  04 कुल 50 वर्ण संस्कृत  में  माने  गये  हैं ll
   वर्ण  वर्गो के  प्रथम तृतीय पञ्चम्  और य र ल व को अल्प प्राण तथा  द्वितीय चतुर्थ और श  ष  स  ह  को महाप्राण  वर्ण  भी  कहा  जाता  है l 
अघोष वर्ण :- पांचो वर्गो के प्रथम,द्वितीय वर्ण और श ष  स कुल 13
घोष या सघोष वर्ण :-पाचों  वर्गो  के तृतीय चतुर्थ पञ्चम य र ल व ह कुल 20 वर्ण, हिन्दी  में उच्छिप्त या द्बिगुण 02 वर्णो को  मिलाकर  22 होते हैं llअ आ इ ई उ ऊ ऋ  ए ऐ ओ और औ को  भी  सघोष  वर्ण माना गया है l
हिन्दी  में  वर्ण 
11स्वर  अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ऋ ओ औ 
41व्यञ्जन 
स्पर्श 27क,च, ट, त और प वर्ग +ढ.,ड. =27
अन्तस्थ 04य, व, र, ल 
उष्म 04श, ष, स, ह
आगत 02. ज फ़ 
संयुक्त 04 क्ष त्र ज्ञ श्र  
कुल 52वर्ण 

                       ||  इति  ||

बुधवार, 16 दिसंबर 2020

Collective Noun

A group of people, animals or a collection of things taken as a whole is collective noun.
1:-it is not a noun of multitude 
As
The jury consists of twelve persons.
The jury were divided in their opinions.
2:-people,the gentry, the elite, the police etc are always plural.
3:-Machinery, luggage, furniture, scenery, clothing etc are always singular.
4:-flock, audience, committee, government,bench,fleet etc are like common noun singular & plural.
5:-Microsoft,Sony,Apple,CNN,WHO,, Interpol,the BBC & the United Nations etc are both proper & collective. 
Example:-
Swarm a group of flies.
Pack a group of dogs.
School a group of fish.
 Other
Set,class, team, troop,bevy,flock, herd, piece, bunch, grove, library,album,heap,hive, cartoon, government, mob,mass, family, staff, crew army,gang, colony, band board etc

सोमवार, 14 दिसंबर 2020

proper & common noun

1:-जो पैदा ,निर्मित या उत्पन्न है वो common noun है।जब इनका नामकरण करते है तो नाम proper नाउन है।
2:-proper का first letter capital होगा as:-Ram
3:-एक से अधिक शब्द होने पर प्रत्येक का first  letter capital होगा।
4:-एक ही नाम के कई हो तो the first,the second आदि मुख्य नाम के बाद जुड़ेगाas Queen Elijabeth the first etc
5:-जब proper noun से पद/पदवी/वर्ग का बोध हो तो    common हो जाता हैas Maharaj,Sulthan etc
6:-जब proper noun से व्यक्ति विशेष के स्थान पर उसके समान गुन वालों का बोध हो तो वह common noun हो जाता है as:-Dara Singh was the Bhim of his time
India requires a number of  Jawaharlals
7:-proper noun का first letter common noun के रूप में भी capital ही होता है।
8:-एक ही शब्द कही common noun तो कही material noun के रूप में प्रयुक्त होता है as
Fish live in water। Fish is good for food।
9:-proper और common को देख सकते है स्पर्श कर सकते है अतः इन्हें concrete noun भी कजते हैं।
10:-proper uncountable और common countable है।
11:-common noun is a name given in common to same class or kind.
Proper means one,s own.

सोमवार, 7 दिसंबर 2020

हे लाल देह अंजनी लाल हनुमाना

हे लाल देह अंजनी लाल हनुमाना,
रौद्र रुप राम दूत राखे लखन प्राना ।
रोग-शोक चिन्ता भय भेद भावना,
नाश करें पल में भरें भक्ति भावना।।1।।
वीर बजरंगी बन्धु-बान्धव तात-मात,
कोरोना महामारी पड़े जन-जन गात।
लंकिनी कोरोना पर करें मुष्टिका घात,
सिंहिका जू मारि मानवता बचाओ तात।।2।।

।।। आनन्द-क्रन्दन ।।।

एक कथा जिसमें है जीवन का आनन्द-क्रन्दन।
सुना रहा है आपको जगत तनय मेवाती नन्दन।।
बैठा था महुआ के नीचे तिलौली तालाब तट पर।
मौत मौसम मच्छर मंत्री का चिंतन था सिर पर।।1।।
मौत कही भी बिन बुलाए मेहमान सा घुस जाती।
गिरगिट सा मौसम-मानव की चमक बदल जाती।।
मच्छर सा छली माया निज दंस सार छोड़ जाती।
मंत्री की जिह्वा जन मध्य कुछ का कुछ कर जाती।।2।।
कुछ नहीं मैं तो इन अपने ख़यालों में था तल्लीन।
बचपन की है बात बच्चा-मन था गभ्भीर  गमगीन।।
सोच रहा भूत-भविष्य को हो इनकी साया में लीन।
वर्तमान मेरा जानते तिलौली-तालाब के नर- मीन।।3।।
महुआ जड़-तालाब जल आँख-मिचौनी खेले जहाँ।
मैं मति मंद महुआ जड़ सा जड़ बन कर बैठा वहाँ।। 
अचानक जगत सुत जगत का दुःख-सुख देखा तहाँ।
आनन्द-क्रन्दन मेल ने खेल खेला था जो वहाँ महाँ।।4।।उड़ता कौवा तालाब ऊपर कांव-कांव कर रहा था।
मैंने सोचा पेट हित मछलियों को वो ढूढ़ रहा था।।
पर मेरा चिंतन तो सदा के लिए झूठा हो रहा था।
कौवा आनन्द के क्रन्दन हेतु क्रन्दन कर रहा था।।5।।
एक चिड़िया अण्डे से बाहर आते बच्चे की खुशी में।
आनन्द से झूम रही थी वह वहाँ की निज मस्ती में।।
 काग की दुष्ट दृष्टि दुष्ट दृष्टि सी झूम रही आनन्द में।
देख काग-चिड़ी आनन्द-क्रन्दन देव पेशमपेश में।।6।।
दृश्य अद्भुत आनन्द मय चिड़िया नवजात हेतु था।
सरोवर तट वसन्त का मौसम आनन्द हर ओर था।। 
 हर पेड़-पौधों के किसलय से सतरंगी परिदृश्य था।
प्रकृति के श्रृंगार में डूबा मैं अति आनन्द विभोर था।।7।
कौवे का सर मध्य ऊपर उड़ना बोलना आम ही था।
बगुले सा सूक्ष्म जीव निगलना उसका काम ही था।।
पर आज उसकी नजर अण्डे के चूज्जे पर टिकी थी।
मेरी नजर इन सबसे दूर निज चिंतन में खूब डूबी थी।।8
अचानक कौवा झपटा अड्डे सहित चूज्जे को निगला।
चिड़ी रोई चिल्लाई मुझे जगाई कह बार-बार पगला।।
मेरी दृष्टि कौवे पर पड़ी उठाया छड़ी पीछे-पीछे दौड़ा।
सोच लिया मैंने अब तो मुझे करना है कौवे को चौड़ा।।9
कौवा चतुर-चालक पंछी लाला से रोटी ले भागा था।
लाला से पाला पड़ा कौवे पर लाला भारी ही पड़ा था।।
काँव- काँव कर कौवा कर आयी रोटी गवा चुका था।
कायस्थ कौवे की कहानी कई-कई बार मैं सुना था।।10
जाको राखे साईंया मार सके ना कोय कथा सुना था।
दौड़ा लिया था कौवे को देखा टहनी आड़ में बैठा था।।
जैसे ही चोंच खोल अड्डे को रखा मैं नीचे पहुँचा था।
पत्थर मारा चूज्जा गिरा मैंने हाथों में लोक लिया था।11
हर पल नव आश नव विश्वास हार-जीत दिखा रहा।
मौत के मुँह से चूज्जे सा बचता जीवन सिखा रहा।।
मौसम का करवट मच्छर सा शामिल बाजा बजा रहा।
मंत्री-सन्तरी कहाँ कायर कागा करतब दिखा रहा।।12।
चूज्जे संग मैं हताश आँखे चिड़ी को ढूढ़ रही थी।
क्या करूँ मैं चूज्जे का सोच काया अधीर हो रही थी।।
ओ चिड़ियाँ समूह में आनन्द स्वर साथ आ रही थी।
अरे मुझे धन्यवाद दे बच्चे को ले ओ जा रही थी।।13।।
कौवे का क्रन्दन काँव काँव करना क्या कहता।
आनन्द-क्रन्दन बीच मैं तालाब तट क्या करता।।
कहीं खुशी कहीं गम अद्भुत ढंग से प्रभु भरता।
उस घटना की याद में मेरे आखों से आँसू झरता।।14।।
             ।।धन्यवाद।।







रविवार, 29 नवंबर 2020

|| CAUSATIVE VERBS. ||

The causative verb is a verb used to indicate that some person or thing makes or helps to make something happen .Have,get ,make and let are main.cause,help ,put and other are also causal or causative verbs.
Have:-to authorize someone to do something.
Get:-to convince or encourage someone to do something
Make:-force or require someone to take an action.
Let:-allow or permite someone to do something.
जब काम करने वाले का पता नहीं हो:-
Sub+causative+obj+v3 etc.
Example:-I had my house cleaned.
जब काम करने वाले का पता हो:-
Sub+causative+person+to v1 or without to v1 +etc.
Example:-
She gets her son to solve the question.
I had electrician look at my broken light.
The elder sister put the child to sleep crying.
I made the boy run.
The nurse caused the patient to drink the medicine lying.
Mother made the servant make the beds carefully.

बुधवार, 18 नवंबर 2020

√पर्यायवाची(शरीर के अंगों के)

तन:- कलेवर तनु काया वपु, लिम्ब गात जिस्म तन।
       देह के बहु नाम ये, अंग ऑर्गन बॉडी कथन।।1।।

बाल:-केश कच कुंतल कहते,अलक शिरोरुह चूल।
       जुल्फ जुल्फी चिकुर बाल, हेयर पर हो फूल।।2।।

पैर:-पद पद्म पद्माकर पग,परम पावन पूजित।
      पैर पाद पद चरण सब,फुट लेग अतिरंजित।।3।।

पेट:-पेट उदर स्टोमच कुक्ष, बेल्ली अंतः भाग।
      जठर अमाशय अंतरे, मध्य भाग का राग।।4।।

हाथ:-हाथ हैंड हस्त हरदम,स्वच्छ रखे कर पात्र।
       पाणी पंजा बाहु भुज,भुजा सवारें गात्र।।5।।

दाँत:-दाँत टूथ टीथ भावन, रदन दशन लुभावन।
       रद द्विज दन्त बदन खुर,मुख खुर रखें पावन।।6।।

जीभ:-जिह्वा रसना रसिका जु,जीभ बानी जुबान।
         वाचा वाणी रस देव,रसज्ञा टंग बखान।।7।।

कान:-कान श्रुतिपट श्रुति सब, श्रवणेन्द्रिय महान।
      श्रोत्र कर्ण एअर श्रवण,शब्दग्रह सब जान।।8।।

पसीना:-पसीना स्वेद प्रस्वेद,स्वेट श्रमकन बखान।
          श्रमसीकर श्रमविंदु, श्रमवारि हैं महान।।8।।

आँख:-आँखें जीवों की जान,लोचन अम्बक नयन।
         नेत्र चक्षु अक्षि दृग मह,ऑय नैन का चयन।।9।।

आँसू:-आँसू टेअर नयन जल,टसुआ असुआ अश्क।
         लोचन वारि अश्रु दृगजल,दृगम्ब का है मश्क़।10

गला:-गला शिरोधरा गरदन, थ्रोट टेंटुआ हलक।
        सु कण्ठ ग्रीव गलई जन,ग्रीवा होवे फलक।।11।।

गाल:-टमाटर सा लाल गाल,कपोल चीक रुखसार।
        गण्ड गलवा गण्ड स्थल,महिमा रखे अपार।।12।।

सीना:-छाती सीना वक्षस्थल,चेस्ट हिया का हार।
        वक्ष रक्ष में रत कवच,हिय का करें सम्भार।।13।।

जंघा:-जांघ जंघा जघन रान,थइ अंग्रेजी बखान।
       उरु जंघ विशाल विस्तृत,नलकिनि हंच महान।14

हथेली:-हथेली पाणितल हाथ,पंजा पाम प्रहस्त।
          करतल हस्ततल जानें,अंजलि अंजुली मस्त।15

दिमाग:-दिमाग मस्तिष्क विवेक,बुद्धि प्रज्ञा मगज।
           ब्रेन मेध भेजा अकल,मति धी राखे सजग।16

नाक:-नाक की है अद्भुत बात, जो दिखाती  जन्नत।
        नोज घ्राणेन्द्रिय घ्राण,नासिका के मन्नत।।17।।

दिल'-दिल हिय हृदय हार्ट उर, जाता जल्दी टूट।
        अन्तः करन हो मजबूत,भरोसा भी अटूट।।18।।

कमर:-कमर कमरिया लपालप, वेस्ट कही कटिभाग।
        लंका कटि मध्यप्रदेश,कॅरिहाव ह मध्यांग।।19।।

पुतली:-एप्पल ऑफ आई कौन आँखो का तारा।
          पुतली प्यूपिल कनीनी, कनीनिकान प्यारा।।20

कोहनी:-कोहनी कफोड़ि कूर्पर,एल्बो कुहनी कोहन।
            इरकोनी टिहुनी पर,रिझे राधा मोहन।।21।।

बुद्धि:-बुद्धि धिषणा प्रज्ञा मति,हर प्राणी में अक्ल।
        विजडम विवेक मनीषा,मेधा धी की शक्ल।।22।।

हाथ'-कर पाणि जोरि कर विनय, भुजा भुज बाहू बाँह।
        बाजू हस्त हाथ पाणि, आर्म ना कहे आह।।23।।

कलाई:-कलाई गट्टा प्रकोष्ठ,है पहुँचा करमूल।
         मणिबन्ध व्रिस्ट भी यही,यही है पाणिमूल।।24।।

माथा'-माथा ललाट की चमक,सोहै मस्तक भाल।
        पेशानी फोरहेड न, शीश सिर ही कपाल।।25।।

कंधा:-कन्धा काँधा ही स्कन्ध,मोढ़ा खावा अंश।
        शोल्डर सोलिडेर सदा,रखते ऊँचा अंस।।26।।

स्तन:-स्तन कुच पयोधर चूची,ब्रैस्ट सीना वक्षोज।
        वक्ष उरोरुह और उरस, स्तन्य ही है उरोज।।27।।

होठ:-होठ हमारा विरलतम,कहलाता है अधर।
       ओठ लिप्स अपर लोवर,ओष्ठ लब मुरली धर।28

चेहरा:-चेहरा मुखड़ा आनन,शक्ल फेस स्वरूप।
        अद्भुत रचना मुँह मुँख, दिखा देता सब रूप।।29।

एड़ी:-हील एड़ी ही कहावत,गोहिरा पगमूल।
       देववाणी में पर्ष्णि, पदमूल चरणमूल।।30।।

नाभि:-नवेल कस्तूरी नाह,नाभि तुन्दी  तुन्नी।
         तुन्दकुपी बेलीबटन,ढोढ़ी कहे धुन्नी।।31।।

          ।।     इति    ।।