एक अनीह अरूप अनामा।
अज सच्चिदानंद पर धामा॥
ब्यापक बिस्वरूप भगवाना।
ब्यापक बिस्वरूप भगवाना।
तेहिं धरि देह चरित कृत नाना॥
1-एक=मत्स्यावतार ईश्वर एक ही पार ब्रह्म परमेश्वर है जो सर्वप्रथम मत्स्यावतार धारण किया।
2-अनीह=कच्छपावतारजिनकी कोई इच्छा नहीं है
3-अरूप=वाराह अवतारजिनका कोई रूप नहीं है
4-अनामा=नरसिंहावतार जो अनाम हैं
5-अज=वामनावतार जो अजन्मा हैं
6-सच्चिदानंद= परशुरामावतर जो सच्चिदानन्द हैं
7-परधामा= रामावतार जो परम धाम हैं
8-ब्यापक=कृष्णावतार जो व्यापक हैं
9-बिस्वरूप=बुद्धावतार जो विश्व रूप हैं
10-भगवाना=कल्कि अवतार जो भगवान हैं
तेहिं धरि देह चरित कृत नाना उसी एक पार ब्रह्म परमेश्वर ने समय समय पर अनेक शरीर धारण कर अनेक चरित (लीला) करते रहते हैं।
सो केवल भगतन हित लागी।
परम कृपाल प्रनत अनुरागी॥
जेहि जन पर ममता अति छोहू।
जेहि जन पर ममता अति छोहू।
जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू॥
1-सो केवल भगतन हित लागी वही पार ब्रह्म परमेश्वर केवल भक्तों के हित अर्थात संसार के हित के लिए एक अवतार लिया और वह हैं मत्स्यावतार।
2-परम कृपालअनीह=कच्छपावतार जिनकी कोई इच्छा नहीं है
3-प्रनत अनुरागीअरूप=वाराह अवतार जिनका कोई रूप नहीं है
4- जेहि जन पर ममता अति छोहू। अनामा=नरसिंहावतार जो अनाम हैं
5- जेहिं करुना करि कीन्ह न कोहू-अज=वामनावतार जो अजन्मा हैं
गई बहोर ग़रीब नेवाजू।
सरल सबल साहिब रघुराजू॥
बुध बरनहिं हरि जस अस जानी।
बुध बरनहिं हरि जस अस जानी।
करहिं पुनीत सुफल निज बानी॥
6-गई बहोर गई हुई वस्तु को फिर प्राप्त कराने वाले
सच्चिदानंद= परशुरामावतर जो सच्चिदानन्द हैं
7-ग़रीब नेवाजू दीनबन्धु परधामा= रामावतार जो परम धाम हैं
8-सरल ब्यापक=कृष्णावतार जो व्यापक हैं
9-सबलबिस्वरूप=बुद्धावतार जो विश्व रूप हैं
10-साहिबभगवाना=कल्कि अवतार जो भगवान हैं
रघुराजू रघु अर्थात प्राणी मात्र, राजू अर्थात राजा अर्थात वही संसार के अचर-सचर के स्वामी हैं और यही समझकर बुद्धिमान लोग उन श्री हरि का यश वर्णन करके अपनी वाणी को पवित्र और उत्तम फल (मोक्ष और दुर्लभ भगवत्प्रेम) देने वाली बनाते हैं।
।। जय श्री राम ।।
पार ब्रह्म परमेश्वर के अवतार की सूची
1. मत्स्य अवतार | 6. परशुराम अवतार |
2. कूर्म अवतार | 7. राम अवतार |
3. वराह अवतार | 8. कृष्ण अवतार |
4. नृसिंह अवतार | 9. बुद्ध अवतार |
5. वामन अवतार | 10. कल्कि अवतार |
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