हनुमानजी को मुसलमान,जैन,सिख आदि में
बाँट रहे हैं सब।
आन्जनेय को कैसे भी अपना बनाने बताने में
लग रहे हैं सब।।
हिन्दू में बहु वर्ग आदि से कौन कहे जमाने में
जूड़ रहे हैं सब।
किस्सा अपना-अपना प्रजा को नित सुनाने में
जग रहे हैं सब।।1।।
शंकर स्वयं वायु पुत्र महाबली बल धाम
नित त्यागमूर्ति जो सेवक हैं सिया राम।
त्रेता-द्वापर राम-कृष्ण सह लीला रत हैं
बानर हैं मानव को मानवता पढ़ावत हैं ।।
उनको जो स्वयं एकादश रुद्र है,
भाग्य देश का जो सब उन्हें अपनावत हैं।
हम तो आँख खुली उस क्षण से
हनुमान हनुमान का रट हरदम लगवात हैं ।।2।।
हनुमान से मान ले मुसलमान आज का
रहमान सा नाम गिनावत है।
गिनाना से भी श्रेष्ठ सत नमन है उनका
तू इन्हें रहमान ही जब मानत है।।
झगड़ा काहे जब जैन महामुनि प्रभु का
गुण गान सदा ही गावत है।
सब धर्म धारन हेतु यहाँ हैं जन जन का
मानव क्यो न मानव धर्म धारत है।।3।।
सनातन धर्म सनातन है हनुमान सनातन है
मानव जीवन हेतु मानव धर्म सनातन है।
जाति धर्म सम्प्रदाय भाषा भाव भावत है
सब छोड़ मानव तू मानवता अपनावत है।।
कोटि कोटि कंठो से निकली कथा कहावत है
हनुमान को जब सब अपना बनवात है
तब तू क्यो न सब धर्म दम्भ छाडत है।
और एक स्वर से भारतीयता अपनावत है
भारतीय बन भारतीय कहावत है।।4।।
शनिवार, 22 दिसंबर 2018
हनुमान हनुमान का रट हरदम लगवात है
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